Answer:गीता – गरमी आते ही बिजली की तरह ही पानी का संकट शुरू हो जाता है। सीमा – बिजली न आने पर जैसे-तैसे झेल भी लेते हैं परंतु पानी के बिना बड़ी परेशानी होती है। गीता – आखिर परेशानी क्यों न हो नहाना, धोना, खाना बनाना आदि काम पानी से ही तो होते हैं। सीमा – अब तो गरमी भी अधिक पड़ने लगी है!
संजय : क्या बताऊँ यार, कल जब मैं बाजार से लौट रहा था कि अचानक मूसलाधार बारिश होने लगी। इतना भीग गया की कल से तबियत कुछ ठीक नहीं।
अतुल : तो छाता लेकर निकलना चाहिए था। अब वर्षा ऋतू में बरसात नहीं होगी तो कब होगी।
संजय : पर मौसम विभाग के अनुसार अबकी बार मानसून 15 से आना था। खैर तुम सही कह रहे हो, गलती मेरी ही है।
अतुल : मौसम विभाग तो कुछ भी बताता रहता है। लेकिन एक बात अच्छी हुयी की तपती गर्मी से कुछ राहत जरूर मिल गयी।
संजय : क्या राहत मिल गयी ? सडकों पर कीचड और हो गया। जगह-जगह सड़कें पानी से डूबी हुयी हैं।
अतुल : यार कभी तो कुछ अच्छा बोलै करो। जब सर्दी होती है तो हम शिकायत करते हैं कि यह बहुत ठंडक है। जब गर्मी का मौसम आता है, तो हम सर्द मौसम चाहते हैं। जब यह बहुत गर्म हो जाता है, तो हम बारिश चाहते हैं! कभी तो शिकायत करना बंद करो।
संजय : ठीक कहते हो। शायद काम के तनाव ने मुझे कुछ ज्यादा ही चिड़चडा बना दिया है। आओ हम दोनों मिलकर इस सुहावने मौसम का आनंद ले।
अतुल : तो फिर देर कैसी, लेकिन इस बार अपना छाता लेना न भूलना।
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Answer:गीता – गरमी आते ही बिजली की तरह ही पानी का संकट शुरू हो जाता है। सीमा – बिजली न आने पर जैसे-तैसे झेल भी लेते हैं परंतु पानी के बिना बड़ी परेशानी होती है। गीता – आखिर परेशानी क्यों न हो नहाना, धोना, खाना बनाना आदि काम पानी से ही तो होते हैं। सीमा – अब तो गरमी भी अधिक पड़ने लगी है!
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अतुल : अरे संजय कैसे हो ? सब ठीक-ठाक है ?
संजय : क्या बताऊँ यार, कल जब मैं बाजार से लौट रहा था कि अचानक मूसलाधार बारिश होने लगी। इतना भीग गया की कल से तबियत कुछ ठीक नहीं।
अतुल : तो छाता लेकर निकलना चाहिए था। अब वर्षा ऋतू में बरसात नहीं होगी तो कब होगी।
संजय : पर मौसम विभाग के अनुसार अबकी बार मानसून 15 से आना था। खैर तुम सही कह रहे हो, गलती मेरी ही है।
अतुल : मौसम विभाग तो कुछ भी बताता रहता है। लेकिन एक बात अच्छी हुयी की तपती गर्मी से कुछ राहत जरूर मिल गयी।
संजय : क्या राहत मिल गयी ? सडकों पर कीचड और हो गया। जगह-जगह सड़कें पानी से डूबी हुयी हैं।
अतुल : यार कभी तो कुछ अच्छा बोलै करो। जब सर्दी होती है तो हम शिकायत करते हैं कि यह बहुत ठंडक है। जब गर्मी का मौसम आता है, तो हम सर्द मौसम चाहते हैं। जब यह बहुत गर्म हो जाता है, तो हम बारिश चाहते हैं! कभी तो शिकायत करना बंद करो।
संजय : ठीक कहते हो। शायद काम के तनाव ने मुझे कुछ ज्यादा ही चिड़चडा बना दिया है। आओ हम दोनों मिलकर इस सुहावने मौसम का आनंद ले।
अतुल : तो फिर देर कैसी, लेकिन इस बार अपना छाता लेना न भूलना।