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May 2023 1 9 Report
अपठित गद्याश नदी पर पेड़ की टहनी का एक पुल था । नदी पार करने का वह एक ही रास्ता था । पुल कम चौड़ा था । एक समय में दो लोग एक साथ उस पुल को पार नहीं कर सकते थे । एक दिन दोनों ओर से एक एक बंदर आ गए। दोनो आमने सामने आकर रुके और गुराए । तभी एक - वह पुल पर चिपक कर लेट गया । और दूसरे बंदर को बोला कि वह उस पर पैर रखकर पार चला जाए। दूसरे बंदर ने ऐसा ही किया। दोनों पार हो गए ने समझदारी से काम लिया । समझदार लड़ते नहीं हैं उपाय सोचते हैं और रास्ता निकाल ही । दोनों बदूरों लेते हैं । बदर ने कुछ सोचा प्र०१ नदी पर किस वस्तु का पुल था ? अपठित गद्याश नदी पर पेड़ की टहनी का एक पुल था । नदी पार करने का वह एक ही रास्ता था । पुल कम चौड़ा था । एक समय में दो लोग एक साथ उस पुल को पार नहीं कर सकते थे । एक दिन दोनों ओर से एक एक बंदर आ गए । दोनो आमने सामने आकर रुके और गुराए । तभी एक - वह पुल पर चिपक कर लेट गया । और दूसरे बंदर को बोला कि वह उस पर पैर रखकर पार चला जाए । दूसरे बंदर ने ऐसा ही किया । दोनों पार हो गए ने समझदारी से काम लिया । समझदार लड़ते नहीं हैं उपाय सोचते हैं और रास्ता निकाल ही । दोनों बदूरों लेते हैं । दोनों बंदरों ने समझदारी से काम लिया | समझदार लड़ते नहीं, उपाय सोचकर रास्ता निकाल ही लेते हैं|
प्र १. इस गद्यांश से हमें कया शिक्षा मिलती है ?​

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