वे जानते थे कि ब्राह्मण समाज ने जानबूझकर इस प्रकार की सोच विकसित कर रखी है। इस प्रकार वे समाज में शूद्रों तथा महिलों के अधिकारों का क्षरण कर उन्हें गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं। ज्योतिबा फुले से यह स्वीकार नहीं किया गया। अतः उन्होंने इसका जमकर विरोध किया और महिला शिक्षा पर बाल दिया ।
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वे जानते थे कि ब्राह्मण समाज ने जानबूझकर इस प्रकार की सोच विकसित कर रखी है। इस प्रकार वे समाज में शूद्रों तथा महिलों के अधिकारों का क्षरण कर उन्हें गुलाम बनाकर रखना चाहते हैं। ज्योतिबा फुले से यह स्वीकार नहीं किया गया। अतः उन्होंने इसका जमकर विरोध किया और महिला शिक्षा पर बाल दिया ।