सन् 1949 की बाढ़ भी कुछ ऐसी ही थी। इसी प्रकार जब लेखक बालक था तब सन् 1937 की बाढ़ आई थी और उसमें नाव को लेकर लड़ाई हो गई थी। 1967 की बाढ़ की याद करते हुए पुनपुन नदी के जल सैलाब को याद करता है। एकाएक लेखक को यह याद आता है कि उसके मित्र और रिश्तेदार तत्काल आई हुई बाढ़ में फँसे हैं
लेखक को बाढ़ से घिरने और भोगने का पहली बार अनुभव कब और कहां हुआ? उत्तर-लेखक को बाढ़ से घिरने और भोगने का पहली बार अनुभव सन् 1967 में पटना में हुआ था। तब वहाँ लगातार अठारह घंटे वर्षा हुई थी। इस वर्षा के कारण पुनपुन नदी का पानी पटना के राजेंद्र नगर, कंकड़बाग आदि निचले क्षेत्रों में घुस गया था।
सन् 1949 की बाढ़ भी कुछ ऐसी ही थी। इसी प्रकार जब लेखक बालक था तब सन् 1937 की बाढ़ आई थी और उसमें नाव को लेकर लड़ाई हो गई थी। 1967 की बाढ़ की याद करते हुए पुनपुन नदी के जल सैलाब को याद करता है। एकाएक लेखक को यह याद आता है कि उसके मित्र और रिश्तेदार तत्काल आई हुई बाढ़ में फँसे हैं।
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सन् 1949 की बाढ़ भी कुछ ऐसी ही थी। इसी प्रकार जब लेखक बालक था तब सन् 1937 की बाढ़ आई थी और उसमें नाव को लेकर लड़ाई हो गई थी। 1967 की बाढ़ की याद करते हुए पुनपुन नदी के जल सैलाब को याद करता है। एकाएक लेखक को यह याद आता है कि उसके मित्र और रिश्तेदार तत्काल आई हुई बाढ़ में फँसे हैं
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लेखक को बाढ़ से घिरने और भोगने का पहली बार अनुभव कब और कहां हुआ? उत्तर-लेखक को बाढ़ से घिरने और भोगने का पहली बार अनुभव सन् 1967 में पटना में हुआ था। तब वहाँ लगातार अठारह घंटे वर्षा हुई थी। इस वर्षा के कारण पुनपुन नदी का पानी पटना के राजेंद्र नगर, कंकड़बाग आदि निचले क्षेत्रों में घुस गया था।
सन् 1949 की बाढ़ भी कुछ ऐसी ही थी। इसी प्रकार जब लेखक बालक था तब सन् 1937 की बाढ़ आई थी और उसमें नाव को लेकर लड़ाई हो गई थी। 1967 की बाढ़ की याद करते हुए पुनपुन नदी के जल सैलाब को याद करता है। एकाएक लेखक को यह याद आता है कि उसके मित्र और रिश्तेदार तत्काल आई हुई बाढ़ में फँसे हैं।