Answer:
: भावार्थ: गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है।
...
चारु – सुंदर
थल – धरती
स्वच्छ – साफ, निर्मल
चाँदनी – चंद्रमा की किरणें
अवनि – धरती
अंबर – आकाश
पुलक – खुशी,रोमांच
तृण – घास
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: भावार्थ: गुप्त जी चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में फैली हुई हैं। संपूर्ण पृथ्वी तथा आकाश में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है।
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चारु – सुंदर
थल – धरती
स्वच्छ – साफ, निर्मल
चाँदनी – चंद्रमा की किरणें
अवनि – धरती
अंबर – आकाश
पुलक – खुशी,रोमांच
तृण – घास
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