रेडियो और टेलीविजन से एक ही परिवार के लोगों का मनोरंजन होता है, पर चित्रपट मनोरंजन का सार्वजनिक साधन है । इसके अतिरिक्त रेडियो से केवल कर्णेंद्रिय की ही तृप्ति होती है, नेत्र आनंद से वंचित रह जाते हैं । चित्रपट दोनों इंद्रियों को संतुष्ट करता है । सिनेमा में हम नृत्य, संगीत और अभिनय-कला का एक साथ आनंद उठा सकते हैं ।
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Mark Me Branlist
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रेडियो और टेलीविजन से एक ही परिवार के लोगों का मनोरंजन होता है, पर चित्रपट मनोरंजन का सार्वजनिक साधन है । इसके अतिरिक्त रेडियो से केवल कर्णेंद्रिय की ही तृप्ति होती है, नेत्र आनंद से वंचित रह जाते हैं । चित्रपट दोनों इंद्रियों को संतुष्ट करता है । सिनेमा में हम नृत्य, संगीत और अभिनय-कला का एक साथ आनंद उठा सकते हैं ।