कोरोना काल में शायद ही कोई ऐसा विद्यार्थी हो जिससे विद्यालय की याद ना सताती हो वास्तव में कितने अवकाश को एक साथ स्वीकार करना बड़ा ही मुश्किल कार्य था भले ही बहुत से विद्यार्थी गण हमारे बीच में ऐसे होते हैं जो विद्यालय के पदों पर लगाओ नहीं रखते हैं परंतु कोरोनावायरस की अपने आप को एक ऑफिस में कुछ विद्यालयों में कुछ कार्यकर्ताओं के स्थान पर देखना चाहते थे जिंदगी में इतने ठहराव आ गया था वास्तव में हर व्यक्ति कर्मशील होना चाहता था कोरोनावायरस हमें उनका सम्मान करते हुए
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कोरोना काल में शायद ही कोई ऐसा विद्यार्थी हो जिससे विद्यालय की याद ना सताती हो वास्तव में कितने अवकाश को एक साथ स्वीकार करना बड़ा ही मुश्किल कार्य था भले ही बहुत से विद्यार्थी गण हमारे बीच में ऐसे होते हैं जो विद्यालय के पदों पर लगाओ नहीं रखते हैं परंतु कोरोनावायरस की अपने आप को एक ऑफिस में कुछ विद्यालयों में कुछ कार्यकर्ताओं के स्थान पर देखना चाहते थे जिंदगी में इतने ठहराव आ गया था वास्तव में हर व्यक्ति कर्मशील होना चाहता था कोरोनावायरस हमें उनका सम्मान करते हुए
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