विचार और भाव केवल शाब्दिक अर्थ नहीं होते, इससे कहीं अधिक होते हैं। हमारे द्वारा पढ़ा गया प्रत्येक शब्द हमारे अंदर एक विचार एक भावना एक स्मृति या एक दृश्य कल्पना को जगाता हैं। भारतीय कलाओं और ललित कलाओं में गूढ़ और जटिल विचारों के रागात्मक भाषेतर संचार का लंबा इतिहास रहा है
संकेतों द्वारा संदेश पहुँचाने की प्रक्रिया को सांकेतिक संचार कहते हैं। यह अशाब्दिक प्रक्रिया है। इसके अन्तर्गत मनुष्य अपनी बात दूसरे व्यक्तियों तक पहुँचाने के लिए लिखने और बोलने की बजाय संकेतों-इशारों या प्रतीकों का उपयोग करता है। जैसे - मनुष्य का हाथ जोड़ना, पाँव छूना, मुट्ठी कसना, लाल बत्ती होने पर ट्रैफिक का रुकना, हरी बत्ती होने पर ट्रैफिक का चलना शुरू करना। यह स्कूल या आर्मी की पीटी परेड में सिटी की आवाज पर परेड शुरू करना या बन्द करने से भिन्न है।
इस संचार प्रक्रिया में वक्ता अर्थ को सूचित करने के लिए श्रवणीय ध्वनि पैटर्न में संप्रेषित करने के बजाय, दृश्य रूप में सांकेतिक पैटर्न
(हस्तचालित संप्रेषण, अंग-संकेत) संचारित करता है - जिसमें वक्ता के विचारों को धारा प्रवाह रूप से व्यक्त करने के लिए, हाथ के आकार, विन्यास और संचालन, बाँहों या शरीर तथा चेहरे के हाव-भावों का एक साथ उपयोग किया जाता है।
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विचार और भाव केवल शाब्दिक अर्थ नहीं होते, इससे कहीं अधिक होते हैं। हमारे द्वारा पढ़ा गया प्रत्येक शब्द हमारे अंदर एक विचार एक भावना एक स्मृति या एक दृश्य कल्पना को जगाता हैं। भारतीय कलाओं और ललित कलाओं में गूढ़ और जटिल विचारों के रागात्मक भाषेतर संचार का लंबा इतिहास रहा है
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संकेतों द्वारा संदेश पहुँचाने की प्रक्रिया को सांकेतिक संचार कहते हैं। यह अशाब्दिक प्रक्रिया है। इसके अन्तर्गत मनुष्य अपनी बात दूसरे व्यक्तियों तक पहुँचाने के लिए लिखने और बोलने की बजाय संकेतों-इशारों या प्रतीकों का उपयोग करता है। जैसे - मनुष्य का हाथ जोड़ना, पाँव छूना, मुट्ठी कसना, लाल बत्ती होने पर ट्रैफिक का रुकना, हरी बत्ती होने पर ट्रैफिक का चलना शुरू करना। यह स्कूल या आर्मी की पीटी परेड में सिटी की आवाज पर परेड शुरू करना या बन्द करने से भिन्न है।
इस संचार प्रक्रिया में वक्ता अर्थ को सूचित करने के लिए श्रवणीय ध्वनि पैटर्न में संप्रेषित करने के बजाय, दृश्य रूप में सांकेतिक पैटर्न
(हस्तचालित संप्रेषण, अंग-संकेत) संचारित करता है - जिसमें वक्ता के विचारों को धारा प्रवाह रूप से व्यक्त करने के लिए, हाथ के आकार, विन्यास और संचालन, बाँहों या शरीर तथा चेहरे के हाव-भावों का एक साथ उपयोग किया जाता है।