फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है। वे परंपरागत ईसाई पादरियों से सर्वथा अलग थे। उनका जीवन नीरस नहीं था। फादर बुल्के संकल्प से सन्यासी थे परंतु मन से नहीं क्योंकि फादर बुल्के व्यवहार और कर्म से संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखते थे। वे सभी के परिवारों में आते जाते थे, उत्सव समारोहों में भाग लेते थे और पुरोहित के समान आशीष देते थे। वे लोगों के दुख की घड़ी में उन्हें सांत्वना देते थे; सहानुभूति प्रकट करते थे। वे देवदार के वृक्ष के समान खड़े रहते थे। उन्होंने विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करके जीविकोपार्जन किया। इस प्रकार फादर बुल्के एक संन्यासी तो थे, पर उनकी छवि संन्यासी की परंपरागत छवि से पृथक थी।
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फादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है। वे परंपरागत ईसाई पादरियों से सर्वथा अलग थे। उनका जीवन नीरस नहीं था। फादर बुल्के संकल्प से सन्यासी थे परंतु मन से नहीं क्योंकि फादर बुल्के व्यवहार और कर्म से संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों के साथ गहरा लगाव रखते थे। वे सभी के परिवारों में आते जाते थे, उत्सव समारोहों में भाग लेते थे और पुरोहित के समान आशीष देते थे। वे लोगों के दुख की घड़ी में उन्हें सांत्वना देते थे; सहानुभूति प्रकट करते थे। वे देवदार के वृक्ष के समान खड़े रहते थे। उन्होंने विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करके जीविकोपार्जन किया। इस प्रकार फादर बुल्के एक संन्यासी तो थे, पर उनकी छवि संन्यासी की परंपरागत छवि से पृथक थी।
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