भारत की वर्तमान पुलिस व्यवस्था मूलतः ब्रिटिश पद्धति पर आधारित है यह व्यवस्था लगभग 160 वर्ष से भी पुरानी है लेकिन इसका आशय यह कदापि नही कि पूर्व भारत में केाई पुलिस व्यवस्था ही नही थी भारत के प्राचीन इतिहास में विशेषता हिन्दू शासन काल में देश में एक सुव्यवस्थित पुलिस बल कार्यरत होने का उल्लेख कही नही है। गुप्त काल मे भारत में एक सुव्यवस्थित एवं कुशल पुलिस प्रणाली लागू थी इसलिए गुप्त शासन काल में देश की कानून व्यवस्था सुद्रढ़ एवं संतोषप्रद थी। पुलिस बल के मुख्य अधिकारी को महादण्डाधिकारी कहा जाता था तथा उसके आधीनस्थ अधिकारियों को ‘ दण्डाधिकारी ’ कहा जाता था। सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल में पुलिस अधिकारियों को ‘ संधिक ’ ‘ चोर्यधारिण ’ तथा दण्डपाशिक कहा जाता था जो क्रमशः जिले कस्वे और गांव की शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए उत्तरदायी होते थे।
न्यायिक अधिकारी को ‘ मीमांसक ’ कहा जाता था। जिसका मुख्य कार्य पुलिस बल द्वारा बन्दी बनाये गये अपराधियों का दण्ड निधारण करना था , दाण्डिक प्रावधान प्रतिरोधक स्वरूप के होने के कारण लोग अपराध करने से डरते थे , इसलिए समाज में अपराध की संख्या नगण्य प्राय थी। पुलिस की एक शाखा खुफिया पुलिस का कार्य करती थी जिसे ‘ गुप्तचर विभाग ’ कहा जाता था।
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भारत की वर्तमान पुलिस व्यवस्था मूलतः ब्रिटिश पद्धति पर आधारित है यह व्यवस्था लगभग 160 वर्ष से भी पुरानी है लेकिन इसका आशय यह कदापि नही कि पूर्व भारत में केाई पुलिस व्यवस्था ही नही थी भारत के प्राचीन इतिहास में विशेषता हिन्दू शासन काल में देश में एक सुव्यवस्थित पुलिस बल कार्यरत होने का उल्लेख कही नही है। गुप्त काल मे भारत में एक सुव्यवस्थित एवं कुशल पुलिस प्रणाली लागू थी इसलिए गुप्त शासन काल में देश की कानून व्यवस्था सुद्रढ़ एवं संतोषप्रद थी। पुलिस बल के मुख्य अधिकारी को महादण्डाधिकारी कहा जाता था तथा उसके आधीनस्थ अधिकारियों को ‘ दण्डाधिकारी ’ कहा जाता था। सम्राट हर्षवर्धन के शासन काल में पुलिस अधिकारियों को ‘ संधिक ’ ‘ चोर्यधारिण ’ तथा दण्डपाशिक कहा जाता था जो क्रमशः जिले कस्वे और गांव की शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए उत्तरदायी होते थे।
न्यायिक अधिकारी को ‘ मीमांसक ’ कहा जाता था। जिसका मुख्य कार्य पुलिस बल द्वारा बन्दी बनाये गये अपराधियों का दण्ड निधारण करना था , दाण्डिक प्रावधान प्रतिरोधक स्वरूप के होने के कारण लोग अपराध करने से डरते थे , इसलिए समाज में अपराध की संख्या नगण्य प्राय थी। पुलिस की एक शाखा खुफिया पुलिस का कार्य करती थी जिसे ‘ गुप्तचर विभाग ’ कहा जाता था।