रंग बिरंगे फूलों को देख कर कवि क्या वर्णन करता है? सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - उत्साह, अट नहीं रही है class-10th Hindi-A Kshitij Please answer fast..
अट नहीं रही है कविता में कवि कहता है कि फागुन के महीने में चारों तरफ हरियाली छाई हुई है। पेड़ों की डालियाँ हरे और किसलयी लाल रंग की पत्तियों से आच्छादित हैं। कहीं पेड़-पौधों की छाती पर मंद-सुगंध से महकते फूलों की मालाएँ सुशोभित हो रही है। पेड़-पौधे खिले हुए सुगंधित फूलों से लद जाते हैं।
अट नहीं रही है' कविता में कवि फागुन मास की मादकता एवं सौंदर्य का वर्णन करते हुए प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहता है कि सब जगह सुंदरता फैली पड़ी है, बिखरी हुई है। रंग-बिरंगे फूल-पत्ते इस तरह छा गए हैं कि मानो वे फागुन के तन में समा नहीं पा रहे हैं। फागुन का सौंदर्य बाहर प्रकट हो रहा है।
Explanation:
In the poem 'At Nahi Rahi Hai', while describing the intoxication and beauty of the month of Phagun, the poet wants to say that beauty is spread everywhere, scattered. The colourful flowers and leaves are covered in such a way that they are not able to fit in Phagun's body. The beauty of Phagun is unfolding outside.
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अट नहीं रही है कविता में कवि कहता है कि फागुन के महीने में चारों तरफ हरियाली छाई हुई है। पेड़ों की डालियाँ हरे और किसलयी लाल रंग की पत्तियों से आच्छादित हैं। कहीं पेड़-पौधों की छाती पर मंद-सुगंध से महकते फूलों की मालाएँ सुशोभित हो रही है। पेड़-पौधे खिले हुए सुगंधित फूलों से लद जाते हैं।
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अट नहीं रही है' कविता में कवि फागुन मास की मादकता एवं सौंदर्य का वर्णन करते हुए प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहता है कि सब जगह सुंदरता फैली पड़ी है, बिखरी हुई है। रंग-बिरंगे फूल-पत्ते इस तरह छा गए हैं कि मानो वे फागुन के तन में समा नहीं पा रहे हैं। फागुन का सौंदर्य बाहर प्रकट हो रहा है।
Explanation:
In the poem 'At Nahi Rahi Hai', while describing the intoxication and beauty of the month of Phagun, the poet wants to say that beauty is spread everywhere, scattered. The colourful flowers and leaves are covered in such a way that they are not able to fit in Phagun's body. The beauty of Phagun is unfolding outside.