वह अपने बच्चे की खुशी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए तत्पर रहती है। वह बचपन में रात-रात भर जागकर अपने बच्चे की देखभाल और सेवा करती है। माँ के लिए कोई अपना या पराया नहीं होता। उसके हृदय में जितना स्नेह अपने बच्चे के लिए होता है, उतना ही स्नेह दूसरे के बच्चों के लिए भी होता है।
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वह अपने बच्चे की खुशी के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए तत्पर रहती है। वह बचपन में रात-रात भर जागकर अपने बच्चे की देखभाल और सेवा करती है। माँ के लिए कोई अपना या पराया नहीं होता। उसके हृदय में जितना स्नेह अपने बच्चे के लिए होता है, उतना ही स्नेह दूसरे के बच्चों के लिए भी होता है।
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