कवि का नाम-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’कविता का नाम-‘ध्वनि’।
वन में मृदुल वसंत का अभिप्राय है- वन रूपी जीवन में वसंत का आगमन होना है।
कवि की चाहत है कि वह पुष्प के जीवन के आलस्य, निराशा व प्रमाद को दूर करना चाहता है। वह अपने अनंत से सप्राण भेंट करना चाहता है। वह अपने जीवन की आभा, सुषमा व कर्तव्य भावना को यशस्वी बनाकर चारों ओर फैलाना चाहता है।
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kim taehyung is your bias...armyyyy
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कविता --अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
2)--पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
Explanation:
कवि का नाम-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
कवि का नाम-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’कविता का नाम-‘ध्वनि’।
वन में मृदुल वसंत का अभिप्राय है- वन रूपी जीवन में वसंत का आगमन होना है।
कवि की चाहत है कि वह पुष्प के जीवन के आलस्य, निराशा व प्रमाद को दूर करना चाहता है। वह अपने अनंत से सप्राण भेंट करना चाहता है। वह अपने जीवन की आभा, सुषमा व कर्तव्य भावना को यशस्वी बनाकर चारों ओर फैलाना चाहता है।
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