शिक्षा का उद्देश्य बच्चों का विकास है शिक्षा बच्चे का सर्वागीण विकास करना चाहिए । इसके लिए विभिन्न तरीके है । विद्यालय - पत्रिका उनमें से एक है । इसका प्रकाशन विद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा होता है । इससे विद्यार्थियों के विकास में सहायता मिलती है। विद्यार्थी पत्रिका में कुछ लिखने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
विद्यार्थियों को अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने पड़ते हैं । इसे नवीन भारत का निर्माण करना है । इसे आदर्श नागरिक पैदा करना है। इसे अच्छे समाज का निर्माण करना है। इसे भविष्य का नेता तैयार करना है। विद्यार्थियों को भविष्य का सामना करना है। विद्यालयपत्रिका के माध्यम से वे अपने विचारों और दृष्टिकोणों को जाहिर कर सकते हैं । विद्यालय पत्रिका उन्हें उचित दृष्टिकोण अपनाने मैं प्रशिक्षित करने की क्षमता रखती है।
विद्यालय पत्रिका का प्रशासन पुस्तकों की तरह होती है। इसे संपादक मंडल की आवश्यकता होती है। इस मंडल की रचना शिक्षकों और विद्यार्थियों के योग से होती है । विद्यालय पत्रिका के प्रभारी शिक्षक उत्तम वर्ग के एक विद्यार्थी का चुनाव करते हैं ।
वे शिक्षक उस विद्यार्थियों को संपादन काल में प्रशिक्षित करते हैं । विद्यार्थी अपनी रचनाएं तैयार करते हैं । शिक्षक भी इसमें अपना योगदान देते हैं। सभी रचनाओं का संपादन मंडल अध्ययन करते हैं। एवं उन पर पुन विचार करते हैं। रचनाओं का अनीता चुनाव किया जाता है । चुनी हुई रचनाएं प्रकाशन के लिए छापाखाने मैं भेज दी जाती है । इस कार्य के लिए विद्यार्थी फीस स्कूल के रूप में पैसे देते हैं । स्कूल की रकम एकत्रित की जाती है । कागज तथा प्रकाशन का खर्च विद्यालय चुका देता है। इसके बाद पत्रिका विद्यार्थियों में मुफ्त बांट दी जाती है । बड़े-बड़े आदमियों को भी इसे उपहार स्वरूप दिया जाता है ।
विद्यालय पत्रिका विद्यार्थियों का जीवन है। इससे अनेक लाभ है । यह विद्यार्थियों को कुछ लिखने के लिए प्रोत्साहित करती है । इसे उद्देश्य के लिए विद्यार्थी पुस्तकों और समाचार पत्रों का अध्ययन करते हैं । वे कविताएं लिखते हैं । वे निबंध लिखते हैं। वे पहले चुनते हैं उन विराम दे पत्रिका प्रेमी बनते हैं ।
उनकी रूचि ओ का विकास होता है। वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित देखकर वर्ग का अनुभव करते हैं। दे पत्रिका में अपने नाम छपे हुए देखकर फुले नहीं समाते उनकी यहां रुचि उन्हें 1 दिन महान पुरुष बनाती है ।
विद्यार्थी पत्रिका विद्यार्थियों का एक रजिस्टर है। अपने भविष्य की रचना के लिए सामग्री एकत्र करना प्रारंभ करते देते हैं । वे अन्य साधनों से सूचना एकत्र करते हैं। यहां आदत उनकी बड़ी मदद करती है। इससे उनका ज्ञान बढ़ता है। उनका दृष्टिकोण और ज्ञान विकसित होती है । उनका विषय वस्तु समधनी ज्ञान दोस्त बनाते हैं ।
विद्यालय पत्रिका विद्यालय का उपयोग देन है । इसकी अनेक उपयोगिता है । इसमें आदर्श नेतृत्व पैदा करने की शक्ति है । इसमें भविष्य में आदर्श नागरिक के निर्माण करने की शक्ति है। इसमें विद्यार्थी की प्रसिद्धि बढ़ती है।
यहां अच्छे विद्यार्थियों और आदर्श नागरिकों को बना सकती है । विद्यालय भी आदर्श पत्रिका को प्रकाशित कर गौरव का अनुभव करता है। पत्रिका विद्यालय का इतिहास अथवा उनका दर्पण है ।
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कहते हैं, जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग हमारा बचपन होता है। बचपन का हर पल खुल कर जीना चाहिए। न ही कोई जिम्मेदारी का बोझ होता है और न ही करियर की टेंशन। सिर्फ खुद से मतलब। ऐसा मस्त समय जीवन में दोबारा कभी नहीं आता। और इन सब मस्ती के पल का साक्षी होता है, हमारा विद्यालय।
मेरे विद्यालय का स्थान:
मेरे विद्यालय का नाम बाल निकेतन है। यह शहर की भीड़-भाड़ से दूर, बेहद शांत माहौल में विद्यमान है। इसके चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। जिस कारण वातावरण शुध्द रहता है और हमें शुध्द वायु भी मिलती रहती है। हम दोपहर के भोजन के समय, किनारे लगे पेड़ो की छांव में खेलते है।
मेरा विद्यालय मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर है। इसलिए मैं पैदल ही विद्यालय पहुंच जाती हूँ। मेरे विद्यालय का व्यास बहुत बड़ा है। इसके चारों तरफ सुंदर-सुंदर फूलों की क्यारियां लगी है। ठीक बगल में बड़ा सा खेल का मैदान भी है, जिसे क्रीड़ा मैदान कहते है।
उपसंहार:
मेरा विद्यालय चूंकि सरकारी है, अतः यह सारी सुख-सुविधाओं से लैस है। हमारे विद्यालय का परिणाम (रिजल्ट) प्रति वर्ष शत-प्रतिशत आता है। मेरे विद्यालय की गणना शहर के अच्छे स्कूलों में की जाती है। मेरे विद्यालय में हर वर्ष वार्षिकोत्सव होता है, जिसमें कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये जाते हैं जिसमें हर प्रतियोगिता में उत्तीर्ण बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। मुझे उस क्षण का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि मैं हर साल अपनी कक्षा में प्रथम आती हूँ। और इस मौके पर बड़े-बड़े अधिकारी आते हैं और मेधावी बच्चों को अपने हाथों से ईनाम देते है।
वह पल बड़ा अविस्मरणीय होता है, जब हजारों बच्चों के बीच से आपका नाम बुलाया जाता है, और मंच पर जाते ही आप का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ अभिनंदन किया जाता है। आप अचानक से ही आम से खास हो जाते है। हर कोई आपको पहचानने लगता है। बड़ा कमाल का अनुभव होता है, जिसे शब्दों में पिरो पाना मुमकिन नहीं। बहुत अच्छा लगता है कि मैं इस विद्यालय की छात्रा हूँ।
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शिक्षा का उद्देश्य बच्चों का विकास है शिक्षा बच्चे का सर्वागीण विकास करना चाहिए । इसके लिए विभिन्न तरीके है । विद्यालय - पत्रिका उनमें से एक है । इसका प्रकाशन विद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा होता है । इससे विद्यार्थियों के विकास में सहायता मिलती है। विद्यार्थी पत्रिका में कुछ लिखने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
विद्यार्थियों को अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने पड़ते हैं । इसे नवीन भारत का निर्माण करना है । इसे आदर्श नागरिक पैदा करना है। इसे अच्छे समाज का निर्माण करना है। इसे भविष्य का नेता तैयार करना है। विद्यार्थियों को भविष्य का सामना करना है। विद्यालयपत्रिका के माध्यम से वे अपने विचारों और दृष्टिकोणों को जाहिर कर सकते हैं । विद्यालय पत्रिका उन्हें उचित दृष्टिकोण अपनाने मैं प्रशिक्षित करने की क्षमता रखती है।
विद्यालय पत्रिका का प्रशासन पुस्तकों की तरह होती है। इसे संपादक मंडल की आवश्यकता होती है। इस मंडल की रचना शिक्षकों और विद्यार्थियों के योग से होती है । विद्यालय पत्रिका के प्रभारी शिक्षक उत्तम वर्ग के एक विद्यार्थी का चुनाव करते हैं ।
वे शिक्षक उस विद्यार्थियों को संपादन काल में प्रशिक्षित करते हैं । विद्यार्थी अपनी रचनाएं तैयार करते हैं । शिक्षक भी इसमें अपना योगदान देते हैं। सभी रचनाओं का संपादन मंडल अध्ययन करते हैं। एवं उन पर पुन विचार करते हैं। रचनाओं का अनीता चुनाव किया जाता है । चुनी हुई रचनाएं प्रकाशन के लिए छापाखाने मैं भेज दी जाती है । इस कार्य के लिए विद्यार्थी फीस स्कूल के रूप में पैसे देते हैं । स्कूल की रकम एकत्रित की जाती है । कागज तथा प्रकाशन का खर्च विद्यालय चुका देता है। इसके बाद पत्रिका विद्यार्थियों में मुफ्त बांट दी जाती है । बड़े-बड़े आदमियों को भी इसे उपहार स्वरूप दिया जाता है ।
विद्यालय पत्रिका विद्यार्थियों का जीवन है। इससे अनेक लाभ है । यह विद्यार्थियों को कुछ लिखने के लिए प्रोत्साहित करती है । इसे उद्देश्य के लिए विद्यार्थी पुस्तकों और समाचार पत्रों का अध्ययन करते हैं । वे कविताएं लिखते हैं । वे निबंध लिखते हैं। वे पहले चुनते हैं उन विराम दे पत्रिका प्रेमी बनते हैं ।
उनकी रूचि ओ का विकास होता है। वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित देखकर वर्ग का अनुभव करते हैं। दे पत्रिका में अपने नाम छपे हुए देखकर फुले नहीं समाते उनकी यहां रुचि उन्हें 1 दिन महान पुरुष बनाती है ।
विद्यार्थी पत्रिका विद्यार्थियों का एक रजिस्टर है। अपने भविष्य की रचना के लिए सामग्री एकत्र करना प्रारंभ करते देते हैं । वे अन्य साधनों से सूचना एकत्र करते हैं। यहां आदत उनकी बड़ी मदद करती है। इससे उनका ज्ञान बढ़ता है। उनका दृष्टिकोण और ज्ञान विकसित होती है । उनका विषय वस्तु समधनी ज्ञान दोस्त बनाते हैं ।
विद्यालय पत्रिका विद्यालय का उपयोग देन है । इसकी अनेक उपयोगिता है । इसमें आदर्श नेतृत्व पैदा करने की शक्ति है । इसमें भविष्य में आदर्श नागरिक के निर्माण करने की शक्ति है। इसमें विद्यार्थी की प्रसिद्धि बढ़ती है।
यहां अच्छे विद्यार्थियों और आदर्श नागरिकों को बना सकती है । विद्यालय भी आदर्श पत्रिका को प्रकाशित कर गौरव का अनुभव करता है। पत्रिका विद्यालय का इतिहास अथवा उनका दर्पण है ।
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प्रस्तावना:
कहते हैं, जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग हमारा बचपन होता है। बचपन का हर पल खुल कर जीना चाहिए। न ही कोई जिम्मेदारी का बोझ होता है और न ही करियर की टेंशन। सिर्फ खुद से मतलब। ऐसा मस्त समय जीवन में दोबारा कभी नहीं आता। और इन सब मस्ती के पल का साक्षी होता है, हमारा विद्यालय।
मेरे विद्यालय का स्थान:
मेरे विद्यालय का नाम बाल निकेतन है। यह शहर की भीड़-भाड़ से दूर, बेहद शांत माहौल में विद्यमान है। इसके चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। जिस कारण वातावरण शुध्द रहता है और हमें शुध्द वायु भी मिलती रहती है। हम दोपहर के भोजन के समय, किनारे लगे पेड़ो की छांव में खेलते है।
मेरा विद्यालय मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर है। इसलिए मैं पैदल ही विद्यालय पहुंच जाती हूँ। मेरे विद्यालय का व्यास बहुत बड़ा है। इसके चारों तरफ सुंदर-सुंदर फूलों की क्यारियां लगी है। ठीक बगल में बड़ा सा खेल का मैदान भी है, जिसे क्रीड़ा मैदान कहते है।
उपसंहार:
मेरा विद्यालय चूंकि सरकारी है, अतः यह सारी सुख-सुविधाओं से लैस है। हमारे विद्यालय का परिणाम (रिजल्ट) प्रति वर्ष शत-प्रतिशत आता है। मेरे विद्यालय की गणना शहर के अच्छे स्कूलों में की जाती है। मेरे विद्यालय में हर वर्ष वार्षिकोत्सव होता है, जिसमें कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये जाते हैं जिसमें हर प्रतियोगिता में उत्तीर्ण बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। मुझे उस क्षण का बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि मैं हर साल अपनी कक्षा में प्रथम आती हूँ। और इस मौके पर बड़े-बड़े अधिकारी आते हैं और मेधावी बच्चों को अपने हाथों से ईनाम देते है।
वह पल बड़ा अविस्मरणीय होता है, जब हजारों बच्चों के बीच से आपका नाम बुलाया जाता है, और मंच पर जाते ही आप का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ अभिनंदन किया जाता है। आप अचानक से ही आम से खास हो जाते है। हर कोई आपको पहचानने लगता है। बड़ा कमाल का अनुभव होता है, जिसे शब्दों में पिरो पाना मुमकिन नहीं। बहुत अच्छा लगता है कि मैं इस विद्यालय की छात्रा हूँ।
#SPJ3