वैज्ञानिक प्रयोग की सफलता ने मनुष्य की बुद्धि का अपूर्व विकास कर दिया है। द्वितीय महायुद्ध में एटम बम की शक्ति ने कुछ क्षणों में ही जापान की अजेय शक्ति को पराजित कर दिया। इस शक्ति की युद्धकालीन सफलता ने अमेरिका, रुस, ब्रिटेन, फ्रान्स आदि सभी देशों को ऐसे शस्त्रास्त्रों के निर्माण की प्रेरणा दी कि सभी भयंकर और सर्वविनाशकारी शस्त्र बनाने लगे। अब सेना को पराजित करने तथा शत्रु-देश पर पैदल सेना द्वारा आक्रमण करने के लिए शस्त्र-निर्माण के साथ पर देश के विनाश करने की दिशा में शस्त्रास्त्र बनने लगे है। इन हथियारों का प्रयोग होने पर शत्रु-देशों की अधिकांश जनता और संपत्ति थोड़े समय में ही नष्ट की जा सकेगी।चूँकि ऐसे शस्त्रास्त्र प्राय: सभी देशों के संग्रहालयों में कुछ न कुछ आ गये है, अत: युद्ध की स्थिति में उनका प्रयोग भी अनिवार्य हो जाएगा।अत: दुनिया का सर्वनाश या अधिकांश नाश तो अवश्य ही हो जायेगा। इसलिए नि: शस्त्रीकरण की योजनाएँ बन रही हैं। शस्त्रास्त्रों के निर्माण में जो दिशा अपनाई गई, उसी के अनुसार आज इतने उन्नत शस्त्रास्त्र बन गये हैं, जिनके प्रयोग के रोकने के मार्ग खोजे जा रहे हैं। इन प्रयासों के मूल में एक भयंकर आतंक और विश्व विनाश का भय कार्य कर रहा है।



1. इस गद्यांश का मूल कथ्य क्या है?
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आतंक और सर्वनाश का भय
विश्व में शस्त्रास्त्रों की होड़
द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका
नि:शस्त्रीकरण और विश्वशांति

2. एटम बम की अपार शक्ति का प्रथम अनुभव कैसे हुआ?
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जापान में हुई भयंकर विनाशलीला से
जापान की अजेय शक्ति की पराजय से
अमेरिका, रुस, ब्रिटेन और फ्रांस की प्रतिस्पर्धा से
अमेरिका की विजय से

3. ‘नि: शस्त्रीकरण’ से क्या तात्पर्य है?
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आधुनिक शस्त्रास्त्रों का मुक्त व्यापार
आधुनिक शस्त्रास्त्रों के परीक्षण, प्रयोग एवं भंड़ारण पर प्रतिबंध
एटम की शक्ति का रचनात्मक कार्यो में प्रयोग
एटम बम का जनता पर प्रयोग न करने का संकल्प

4. नि:शस्त्रीकरण की योजनाएँ क्यों बनाई जा रही हैं?
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क्योंकि आतंक और विश्व के सर्वनाश का भय बढ़ता जा रहा है।
क्योंकि बड़े देशों के संसाधन समाप्त होते जा रहे हैं।
क्योंकि तृतीय विश्वयुद्ध की अभी कोई संभावना नहीं है।
क्योंकि ये योजनाएँ संयुक्त राष्ट्र संघ ने बनाई हैं।

5. इस गद्यांश का सर्वाधिक उपर्युक्त शीर्षक है-
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एटम बम की शक्ति
आतंक और विश्व-विनाश का भय
आधुनिक शस्त्रास्त्रों का विनाशकारी प्रभाव
नि:शस्त्रीकरण

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