हर देश की अपनी अलग भाषा होती है। जिसे राष्ट्रभासा कहा जाता है।
हर देश की अपनी अलग-अलग राष्ट्रभाषा होती है। उसी प्रकार हमारे देश कि राष्ट्रभाषा हिंदी है। राष्ट्रभाषा का दर्जा किसी भी भाषा को तब दिया जाता है जब उस देश के सभी व्यक्ति उस भाषा को आसानी से लिख सकते हैं और बोल सकते हैं । यह हमारे देश में सामान्य संचार की भाषा है। यह हमारे देश की राजभाषा भी कहलाती है। 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति के तुरंत बाद संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया था। देश में प्रतिवर्ष 14 सितम्बर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश में राष्ट्रीय एकता का बनाए रखने के लिए भी राष्ट्रभाषा की आवश्यकता होती है। हिंदी की लिपी देवनागरी है जो कि देवों की लिपी हैं। इस भाषा को ज्यादातर भारत में बोली जाती है। दक्षिण भारत के लोग अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते है , जो हिंदी को ठीक से नहीं समझते। भारत में लाखों लोग अभी भी हिंदी को नहीं जानते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें संस्कृत शब्दोंं को शामिल करने से इसे कठिन बना दिया हैं।
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हर देश की अपनी अलग भाषा होती है। जिसे राष्ट्रभासा कहा जाता है।
हर देश की अपनी अलग-अलग राष्ट्रभाषा होती है। उसी प्रकार हमारे देश कि राष्ट्रभाषा हिंदी है। राष्ट्रभाषा का दर्जा किसी भी भाषा को तब दिया जाता है जब उस देश के सभी व्यक्ति उस भाषा को आसानी से लिख सकते हैं और बोल सकते हैं । यह हमारे देश में सामान्य संचार की भाषा है। यह हमारे देश की राजभाषा भी कहलाती है। 1947 में स्वतन्त्रता प्राप्ति के तुरंत बाद संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया था। देश में प्रतिवर्ष 14 सितम्बर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश में राष्ट्रीय एकता का बनाए रखने के लिए भी राष्ट्रभाषा की आवश्यकता होती है। हिंदी की लिपी देवनागरी है जो कि देवों की लिपी हैं। इस भाषा को ज्यादातर भारत में बोली जाती है। दक्षिण भारत के लोग अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करते है , जो हिंदी को ठीक से नहीं समझते। भारत में लाखों लोग अभी भी हिंदी को नहीं जानते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें संस्कृत शब्दोंं को शामिल करने से इसे कठिन बना दिया हैं।
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hope it is help full