इस पंक्ति का यह अर्थ है कि जो व्यक्ति केवल बाहर से ही यह दिखाता है कि वह अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर चुका है. लेकिन अगर उसका मन से अंदर से चलयामान होता है तो वह व्यक्ति सबेस झूठा और कपटी होता है।
2 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
इस उपदेश का अर्थ यह है कि भविष्य का चिंता किए बिना जो आप काम कर रहे हैं उसे पूरी दृढ़ता से करते रहना चाहिए। अगर हम मौजूदा वक्त पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करेंगे तो आपका भविष्य जरूर बेहतर होगा।
3 यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति ।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः ॥
कोई भी खास काम के सफल होने पर ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से गलती के होने की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही हमें किसी दूसरे से जलन की भावना भी नहीं रखनी चाहिए।
4 न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् ।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः ॥
इस पंक्ति का यह अर्थ है कि हर इंसान के लिए कोई ना कोई काम जरूर है, जो कि वह करने के लिए बाध्य है। हर इंसान में कोई ना कोई खूबी जरूर होती है। बस जरूरत होती है अपने अंदर छिपे हुए हुनर को पहचानने की। जिसके हिसाब से वह व्यक्ति काम कर सके।
Answers & Comments
Verified answer
1 कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्।
इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते॥
इस पंक्ति का यह अर्थ है कि जो व्यक्ति केवल बाहर से ही यह दिखाता है कि वह अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर चुका है. लेकिन अगर उसका मन से अंदर से चलयामान होता है तो वह व्यक्ति सबेस झूठा और कपटी होता है।
2 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥
इस उपदेश का अर्थ यह है कि भविष्य का चिंता किए बिना जो आप काम कर रहे हैं उसे पूरी दृढ़ता से करते रहना चाहिए। अगर हम मौजूदा वक्त पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करेंगे तो आपका भविष्य जरूर बेहतर होगा।
3 यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति ।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः ॥
कोई भी खास काम के सफल होने पर ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से गलती के होने की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही हमें किसी दूसरे से जलन की भावना भी नहीं रखनी चाहिए।
4 न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् ।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः ॥
इस पंक्ति का यह अर्थ है कि हर इंसान के लिए कोई ना कोई काम जरूर है, जो कि वह करने के लिए बाध्य है। हर इंसान में कोई ना कोई खूबी जरूर होती है। बस जरूरत होती है अपने अंदर छिपे हुए हुनर को पहचानने की। जिसके हिसाब से वह व्यक्ति काम कर सके।