पारस्परिक संचार दो या दो से अधिक लोगों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान है। यह अनुसंधान का एक क्षेत्र भी है जो यह समझने का प्रयास करता है कि मानव कितने व्यक्तिगत और संबंधपरक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मौखिक और अशाब्दिक संकेतों का उपयोग करता है।
अन्तर्वैयक्तिक संचार वह है, जिसमें दो व्यक्तियों के बीच या एक व्यक्ति तथा समूह के बीच संचार होता है। जब संचार दो व्यक्तियों के बीच होता है तो उसे द्विकीय संचार कहा जाता है।
अन्तर्वैयक्तिक संचार प्रत्यक्ष होता है तथा इसके बीच में किसी संचार तकनीकी की आवश्यकता नहीं होती। यह वैयक्तिक संबंधों एवं सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाए रखने एवं विकसित करने के लिए आवश्यक माना जाता है। बिना अन्तर्वैयक्तिक संचार के सामाजिक समूह की इकाइयों के समूह के रूप में कार्य करने के बारे में सोचना कठिन है।
कोई समुदाय या समूह केवल व्यक्तियों का समूह ही नहीं होता अपितु सुसम्बद्ध इकाई होती है। संचार के द्वारा इसमें एकता और पहचान की अभिव्यक्ति होता है। अन्तर्वैयक्तिक संचार द्वारा संबंध बनाए जाते हैं और पोषित किए जाते हैं।
अन्तर्वैयक्तिक संचार मौखिक या अमौखिक हो सकता है। इस प्रक्रिया में मात्र प्रेषक तथा ग्रहणकर्ता दोनों को परस्पर संदेश की संचार प्रक्रिया का पता होता है।
अन्तर्वैयक्तिक संचार दो प्रकार के हो सकते हैं:
परस्पर विनिमय और पारस्परिक क्रिया। परस्पर विनिमय से हमारा अभिप्राय है मित्रों, पारिवारिक सदस्यों तथा प्रेमियों इत्यादि के बीच होने वाली निजी बात। यह संचार अधिक अनौपचारिक होता है तथा इसका सार्वजनिक या सामाजिक नियमों के अनुरूप होना आवश्यक नहीं है।
उदाहरण के लिए, नानी-दादी बच्चे को सुलाने के लिए कहानियां कहती हैं या लोरियां सुनाती है। वे देखती है कि यदि बच्चा सो गया तो वह अपनी कहानी या लोरी को पूरा होने से पहले ही बीच में अधूरा छोड़ देती हैं।
अन्तर्वैयक्तिक संचार में बाधाएं
सामाजिक बाधाओं में महिलाओं, सामाजिक रूप से तिरस्कृत वर्ग तथा आर्थिक सुविधाओं से वंचित वगोर्ं के विरुद्ध भेदभाव शामिल हैं।
सामाजिक बाधाओं में महिलाओं, सामाजिक रूप से तिरस्कृत वर्ग तथा आर्थिक सुविधाओं से वंचित वगोर्ं के विरुद्ध भेदभाव शामिल हैं।संचार बाधाओं में आयु, मानसिकता तथा –ष्टिकोण मं े भिन्नता, विवाहित साथियों एवं पारिवारिक सदस्यों के बीच वार्तालाप का अभाव शामिल हैं।
सामाजिक बाधाओं में महिलाओं, सामाजिक रूप से तिरस्कृत वर्ग तथा आर्थिक सुविधाओं से वंचित वगोर्ं के विरुद्ध भेदभाव शामिल हैं।संचार बाधाओं में आयु, मानसिकता तथा –ष्टिकोण मं े भिन्नता, विवाहित साथियों एवं पारिवारिक सदस्यों के बीच वार्तालाप का अभाव शामिल हैं।इससे अरुचि, अकेलापन, उदासीनता तथा अन्य व्यक्तित्व संबंधी कुंठाएँ पैदा हो सकती हैं। अंतर्मुखी स्तर पर प्रभावशाली परस्पर कार्यकलाप की असफलता से व्यक्ति अंतर्मुखी, समाज से कटा हुआ अनुभव करने लगता है। ऐसे अनुचित तीव्र व्यवहार से व्यक्ति का व्यवहार हिंसक तथा आत्मघाती तक हो सकता है।
अन्तर्वैयक्तिक संचार के लाभ
इस संचार के द्वारा संचारक तथा प्राप्तकर्ता के मध्य सामने-सामने के सम्बन्ध होते हैं। जिसके कारण मौखिक संदेश की गोपनीयता बनी रहती हैं।
इस संचार में संचारक तथा प्राप्तकर्ता ही होते हैं जिसके कारण सूचना अन्य लोगों के पास नहीं जा पाती है।
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पारस्परिक संचार दो या दो से अधिक लोगों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान है। यह अनुसंधान का एक क्षेत्र भी है जो यह समझने का प्रयास करता है कि मानव कितने व्यक्तिगत और संबंधपरक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मौखिक और अशाब्दिक संकेतों का उपयोग करता है।
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अन्तर्वैयक्तिक संचार वह है, जिसमें दो व्यक्तियों के बीच या एक व्यक्ति तथा समूह के बीच संचार होता है। जब संचार दो व्यक्तियों के बीच होता है तो उसे द्विकीय संचार कहा जाता है।
अन्तर्वैयक्तिक संचार प्रत्यक्ष होता है तथा इसके बीच में किसी संचार तकनीकी की आवश्यकता नहीं होती। यह वैयक्तिक संबंधों एवं सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाए रखने एवं विकसित करने के लिए आवश्यक माना जाता है। बिना अन्तर्वैयक्तिक संचार के सामाजिक समूह की इकाइयों के समूह के रूप में कार्य करने के बारे में सोचना कठिन है।
कोई समुदाय या समूह केवल व्यक्तियों का समूह ही नहीं होता अपितु सुसम्बद्ध इकाई होती है। संचार के द्वारा इसमें एकता और पहचान की अभिव्यक्ति होता है। अन्तर्वैयक्तिक संचार द्वारा संबंध बनाए जाते हैं और पोषित किए जाते हैं।
अन्तर्वैयक्तिक संचार मौखिक या अमौखिक हो सकता है। इस प्रक्रिया में मात्र प्रेषक तथा ग्रहणकर्ता दोनों को परस्पर संदेश की संचार प्रक्रिया का पता होता है।
अन्तर्वैयक्तिक संचार दो प्रकार के हो सकते हैं:
परस्पर विनिमय और पारस्परिक क्रिया। परस्पर विनिमय से हमारा अभिप्राय है मित्रों, पारिवारिक सदस्यों तथा प्रेमियों इत्यादि के बीच होने वाली निजी बात। यह संचार अधिक अनौपचारिक होता है तथा इसका सार्वजनिक या सामाजिक नियमों के अनुरूप होना आवश्यक नहीं है।
उदाहरण के लिए, नानी-दादी बच्चे को सुलाने के लिए कहानियां कहती हैं या लोरियां सुनाती है। वे देखती है कि यदि बच्चा सो गया तो वह अपनी कहानी या लोरी को पूरा होने से पहले ही बीच में अधूरा छोड़ देती हैं।
अन्तर्वैयक्तिक संचार में बाधाएं
सामाजिक बाधाओं में महिलाओं, सामाजिक रूप से तिरस्कृत वर्ग तथा आर्थिक सुविधाओं से वंचित वगोर्ं के विरुद्ध भेदभाव शामिल हैं।
सामाजिक बाधाओं में महिलाओं, सामाजिक रूप से तिरस्कृत वर्ग तथा आर्थिक सुविधाओं से वंचित वगोर्ं के विरुद्ध भेदभाव शामिल हैं।संचार बाधाओं में आयु, मानसिकता तथा –ष्टिकोण मं े भिन्नता, विवाहित साथियों एवं पारिवारिक सदस्यों के बीच वार्तालाप का अभाव शामिल हैं।
सामाजिक बाधाओं में महिलाओं, सामाजिक रूप से तिरस्कृत वर्ग तथा आर्थिक सुविधाओं से वंचित वगोर्ं के विरुद्ध भेदभाव शामिल हैं।संचार बाधाओं में आयु, मानसिकता तथा –ष्टिकोण मं े भिन्नता, विवाहित साथियों एवं पारिवारिक सदस्यों के बीच वार्तालाप का अभाव शामिल हैं।इससे अरुचि, अकेलापन, उदासीनता तथा अन्य व्यक्तित्व संबंधी कुंठाएँ पैदा हो सकती हैं। अंतर्मुखी स्तर पर प्रभावशाली परस्पर कार्यकलाप की असफलता से व्यक्ति अंतर्मुखी, समाज से कटा हुआ अनुभव करने लगता है। ऐसे अनुचित तीव्र व्यवहार से व्यक्ति का व्यवहार हिंसक तथा आत्मघाती तक हो सकता है।
अन्तर्वैयक्तिक संचार के लाभ