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न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती है नचाती है। उत्तर: संसार में धन के बल पर न्यायालय में न्याय को अपने पक्ष में खरीदा जा सकता है। नैतिकता को धन के पैरों तले कुचला जा सकता है। ऐसी अलोपीदीन की पुष्ट धारणा थी।
Ohh sorry Ishii!! •́ ‿ ,•̀
Btw mai Sep me 19 ka ho jaunga lol
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