sorry i can't tell in punjabi as i am Maharashtrian so iam telling in hindi
एक समय की बात है, गाँव में एक छोटा सा लड़का रहता था जिसका नाम आर्जुन था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने में सबसे आगे रहता था। एक दिन, उसने अपने दोस्तों के साथ एक पेड़ के नीचे बैठकर बातें कर रहा था।
गाँव में एक बड़ा समाज होता था और वहां लोगों के बीच दोस्ती बढ़ाने के लिए एक बार मेला आयोजित हुआ। आर्जुन ने देखा कि बहुत सारे बच्चे बाजार में बहुत सारे खिलौने खरीद रहे थे, लेकिन कुछ गरीब बच्चे खिलौने खरीदने में असमर्थ थे।
आर्जुन ने अपने दोस्तों से मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने अपने खुद के खिलौने बेचकर और दूसरों से भी इस कारण सहायता मांगकर वहां कुछ पैसे इकट्ठा किए।
आर्जुन ने फिर वह पैसे इस तरह गरीब बच्चों को दिए कि वे भी खिलौने खरीद सकें। उसने यह सिखाया कि हमें अपने सुख-संपत्ति का उचित तरीके से उपयोग करके दूसरों की मदद करनी चाहिए।
इसका सारांश यह था कि छोटे कार्यों से ही हम बड़े परिवर्तन कर सकते हैं और हमें दूसरों की मदद करने का आनंद लेना चाहिए।
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sorry i can't tell in punjabi as i am Maharashtrian so iam telling in hindi
एक समय की बात है, गाँव में एक छोटा सा लड़का रहता था जिसका नाम आर्जुन था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने में सबसे आगे रहता था। एक दिन, उसने अपने दोस्तों के साथ एक पेड़ के नीचे बैठकर बातें कर रहा था।
गाँव में एक बड़ा समाज होता था और वहां लोगों के बीच दोस्ती बढ़ाने के लिए एक बार मेला आयोजित हुआ। आर्जुन ने देखा कि बहुत सारे बच्चे बाजार में बहुत सारे खिलौने खरीद रहे थे, लेकिन कुछ गरीब बच्चे खिलौने खरीदने में असमर्थ थे।
आर्जुन ने अपने दोस्तों से मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने अपने खुद के खिलौने बेचकर और दूसरों से भी इस कारण सहायता मांगकर वहां कुछ पैसे इकट्ठा किए।
आर्जुन ने फिर वह पैसे इस तरह गरीब बच्चों को दिए कि वे भी खिलौने खरीद सकें। उसने यह सिखाया कि हमें अपने सुख-संपत्ति का उचित तरीके से उपयोग करके दूसरों की मदद करनी चाहिए।
इसका सारांश यह था कि छोटे कार्यों से ही हम बड़े परिवर्तन कर सकते हैं और हमें दूसरों की मदद करने का आनंद लेना चाहिए।