जिस तरह हमें आजादी पसंद है उसी तरह वे भी स्वछंदता पसंद करती हैं क्योंकि बंधन में रहकर मिलने वाली सुविधाओं से आजादी की स्थिति श्रेष्ठ है। पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है।
स्वतंत्रता जिंदगी का सबसे बड़ा सुख है। परतंत्र रहना कोई नहीं चाहता। पशु-पक्षी भी आजादी की सांस लेना पसंद करते हैं। उपरोक्त विचार जैन तेरापंथ सभा भवन में उजले प्रभात को नमन करते हुए साध्वी सोमलता ने व्यक्त किए। तिरंगे की महत्ता बताते हुए साध्वी ने ओजस्वी वाणी में कहा कि संयम, शांति, सौहार्द, प्रेम व वत्सलता का प्रतीक ध्वज असली आजाद को अपनाने की प्रेरणा देता है।
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जिस तरह हमें आजादी पसंद है उसी तरह वे भी स्वछंदता पसंद करती हैं क्योंकि बंधन में रहकर मिलने वाली सुविधाओं से आजादी की स्थिति श्रेष्ठ है। पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है।
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स्वतंत्रता जिंदगी का सबसे बड़ा सुख है। परतंत्र रहना कोई नहीं चाहता। पशु-पक्षी भी आजादी की सांस लेना पसंद करते हैं। उपरोक्त विचार जैन तेरापंथ सभा भवन में उजले प्रभात को नमन करते हुए साध्वी सोमलता ने व्यक्त किए। तिरंगे की महत्ता बताते हुए साध्वी ने ओजस्वी वाणी में कहा कि संयम, शांति, सौहार्द, प्रेम व वत्सलता का प्रतीक ध्वज असली आजाद को अपनाने की प्रेरणा देता है।
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