समाज में रिश्तों की अहमियत अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। रहीम जी के दोहे में कहा गया है, "बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुबेस। राजनीति बिना बैर बिना, मन करे पुनी जेस।" यह दोहा हमें बताता है कि जैसे साबुन और पानी शरीर को साफ करते हैं, वैसे ही रिश्ते हमारे मन को निर्मल और पुनीत करते हैं। रिश्ते हमें संघटित रखने, सम्बंधों को मजबूत करने और समाज में सहयोग करने में मदद करते हैं। रिश्तों के माध्यम से हम एक दूसरे को समझ, समर्थन और प्यार प्रदान करते हैं, जो हमें संपूर्णता और सुख-शांति का अनुभव करने में मदद करता है।
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समाज में रिश्तों की अहमियत अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। रहीम जी के दोहे में कहा गया है, "बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुबेस। राजनीति बिना बैर बिना, मन करे पुनी जेस।" यह दोहा हमें बताता है कि जैसे साबुन और पानी शरीर को साफ करते हैं, वैसे ही रिश्ते हमारे मन को निर्मल और पुनीत करते हैं। रिश्ते हमें संघटित रखने, सम्बंधों को मजबूत करने और समाज में सहयोग करने में मदद करते हैं। रिश्तों के माध्यम से हम एक दूसरे को समझ, समर्थन और प्यार प्रदान करते हैं, जो हमें संपूर्णता और सुख-शांति का अनुभव करने में मदद करता है।
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