एक बच्चे के जीवन के शुरुआती साल, उनके बढ़ने और विकास की नींव रखते हैं। मस्तिष्क का शुरुआती विकास तय करता है कि आपका बच्चा कैसे सोचेगा, सीखेगा और व्यवहार करेगा और लंबे समय में अपने जीवन में कामयाब होने की काबिलियत तय करता है।
क्या आप जानते हैं कि जीवन के पहले 1,000 दिनों के दौरान, एक बच्चे का मस्तिष्क बहुत तेजी से विकसित होता है और हर सेकंड दस लाख से ज्यादा नए न्यूरल कनेक्शन बनते हैं।
यह समय, एक बच्चे के सीखने, बढ़ने और समाज में अपना पूरा योगदान देने की क्षमता को आकार देने का जीवन में एक-बार मिलने वाला मौका देता है। हालांकि, ये सभी जुड़ाव एक-साथ तभी आते हैं जब एक बच्चे को सही सेहत, पर्याप्त पोषण, सुरक्षा, जिम्मेदारी सहित देखभाल और जल्दी सीखने का मौका मिलता है।
न्यूरोसाइंस अब इस बात का जबरदस्त सबूत देता है कि हालांकि जीन्स मस्तिष्क के विकास के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करते हैं, लेकिन बच्चे का वातावरण ही उसके मस्तिष्क के विकास को आकार देता है। माता-पिता को अपने बच्चों के जीवन के पहले पांच सालों में सही वातावरण को आकार देने में एक बड़ी भूमिका निभानी होती है, जब उनकी सीखने, बदलावों को अपनाने की क्षमता तय होती है और मनोवैज्ञानिक लचीलापन विकसित होता है।
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एक बच्चे के जीवन के शुरुआती साल, उनके बढ़ने और विकास की नींव रखते हैं। मस्तिष्क का शुरुआती विकास तय करता है कि आपका बच्चा कैसे सोचेगा, सीखेगा और व्यवहार करेगा और लंबे समय में अपने जीवन में कामयाब होने की काबिलियत तय करता है।
क्या आप जानते हैं कि जीवन के पहले 1,000 दिनों के दौरान, एक बच्चे का मस्तिष्क बहुत तेजी से विकसित होता है और हर सेकंड दस लाख से ज्यादा नए न्यूरल कनेक्शन बनते हैं।
यह समय, एक बच्चे के सीखने, बढ़ने और समाज में अपना पूरा योगदान देने की क्षमता को आकार देने का जीवन में एक-बार मिलने वाला मौका देता है। हालांकि, ये सभी जुड़ाव एक-साथ तभी आते हैं जब एक बच्चे को सही सेहत, पर्याप्त पोषण, सुरक्षा, जिम्मेदारी सहित देखभाल और जल्दी सीखने का मौका मिलता है।
न्यूरोसाइंस अब इस बात का जबरदस्त सबूत देता है कि हालांकि जीन्स मस्तिष्क के विकास के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करते हैं, लेकिन बच्चे का वातावरण ही उसके मस्तिष्क के विकास को आकार देता है। माता-पिता को अपने बच्चों के जीवन के पहले पांच सालों में सही वातावरण को आकार देने में एक बड़ी भूमिका निभानी होती है, जब उनकी सीखने, बदलावों को अपनाने की क्षमता तय होती है और मनोवैज्ञानिक लचीलापन विकसित होता है।
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