बेटी अभी सयानी नहीं थी, उसकी उम्र भी कम थी और वह समाज में व्याप्त बुराईयों से अंजान थी। माँ यह नहीं चाहती थी कि उसके साथ जो अन्याय हुए हैं, वे सब उसकी बेटी को भी सहने पड़े। घर-गृहस्थी के नाम पर बहुओं को वस्त्र और गहनों से प्रलोभित किया जाता है और अपने भोलेपन के कारण वह उस से निकलने का प्रयत्न भी नहीं करती।
उत्तर- लड़की अभी कमसिन नादान व भोली भाली है। उसने अपने माता-पिता के घर सिर्फ सुखों को ही देखा है। वह ससुराल व वैवाहिक जीवन जीने के लिए अभी परिपक्व नहीं है। शादी के बाद महिलाओं का जीवन कितना बदल जाता हैं उसे लगता है कि विवाह के बाद उसका जीवन मायके की तरह ही सुख व आराम से कटेगा । इसीलिए वह भविष्य की सुखद कल्पनाओं में खोई हुई हैं।
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बेटी अभी सयानी नहीं थी, उसकी उम्र भी कम थी और वह समाज में व्याप्त बुराईयों से अंजान थी। माँ यह नहीं चाहती थी कि उसके साथ जो अन्याय हुए हैं, वे सब उसकी बेटी को भी सहने पड़े। घर-गृहस्थी के नाम पर बहुओं को वस्त्र और गहनों से प्रलोभित किया जाता है और अपने भोलेपन के कारण वह उस से निकलने का प्रयत्न भी नहीं करती।
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उत्तर- लड़की अभी कमसिन नादान व भोली भाली है। उसने अपने माता-पिता के घर सिर्फ सुखों को ही देखा है। वह ससुराल व वैवाहिक जीवन जीने के लिए अभी परिपक्व नहीं है। शादी के बाद महिलाओं का जीवन कितना बदल जाता हैं उसे लगता है कि विवाह के बाद उसका जीवन मायके की तरह ही सुख व आराम से कटेगा । इसीलिए वह भविष्य की सुखद कल्पनाओं में खोई हुई हैं।