इस पाठ में लेखक समाज में होने वाले उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के भेदभाव को दर्शा रहा है। यहाँ लेखक अपने एक अनुभव को साँझा करते हुए कहता है कि दुःख मनाने का अधिकार सभी को होता है फिर चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग का हो।
'दुख का अधिकार' कहानी अंधविश्वास से सम्बंधित एक दिल को छू लेने वाली कहानी है.
Explanation:
'दुख का अधिकार' कहानी अंधविश्वास से सम्बंधित एक दिल को छू लेने वाली कहानी है. इसी प्रकार अंधविश्वास से संबंधित कोई कहानी पढ़िए एवं उसका सचित्र प्रस्तुतीकरण कीजिए :
यह कहानी एक गाँव में रहने वाले परिवार की है | यह परिवार बहुत ही गरीब था | मेहनत करके वह अपने परिवार को पालता था | एक दिन परिवार के बच्चे को बहुत तेज भुखार आया | परिवार वाले बच्चे को अस्पताल ले गए , उसे कोई फर्क नहीं पढ़ा | डॉक्टर ने उन्हें इलाज के लिए टेस्ट करवाने के लिए कहा |
वह अपने बच्चे को लेकर घर आ गए | गाँव के लोगों ने उन्हें सलाह दी कि अस्पताल वाले ऐसे ही बोलते है , तुम इनके चक्कर में मत पड़ो | तुम अपने बच्चे को किसी तांत्रिक के पास ले जाओ | इसके ग्रह और दान और पूजा करवाओ | यह सुनकर बच्चे के परिवार ऐसा ही किया | उनके पास जो कुछ था सब दान कर दिया | तांत्रिक लोगों के बहुत चक्कर काटे |
बच्चे को कोई फर्क नहीं पड़ा | उसकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती गई | उन लोगों ने डॉक्टर पर विश्वास न रखकर अंधविश्वास के चक्कर में पड़ गया | 15 दिन बाद उस बच्चे की मृत्यु हो गई | पूरा परिवार टूट गया | अब परिवार के पास रोने के अलावा कुछ नहीं था |
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इस पाठ में लेखक समाज में होने वाले उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के भेदभाव को दर्शा रहा है। यहाँ लेखक अपने एक अनुभव को साँझा करते हुए कहता है कि दुःख मनाने का अधिकार सभी को होता है फिर चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग का हो।
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'दुख का अधिकार' कहानी अंधविश्वास से सम्बंधित एक दिल को छू लेने वाली कहानी है.
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'दुख का अधिकार' कहानी अंधविश्वास से सम्बंधित एक दिल को छू लेने वाली कहानी है. इसी प्रकार अंधविश्वास से संबंधित कोई कहानी पढ़िए एवं उसका सचित्र प्रस्तुतीकरण कीजिए :
यह कहानी एक गाँव में रहने वाले परिवार की है | यह परिवार बहुत ही गरीब था | मेहनत करके वह अपने परिवार को पालता था | एक दिन परिवार के बच्चे को बहुत तेज भुखार आया | परिवार वाले बच्चे को अस्पताल ले गए , उसे कोई फर्क नहीं पढ़ा | डॉक्टर ने उन्हें इलाज के लिए टेस्ट करवाने के लिए कहा |
वह अपने बच्चे को लेकर घर आ गए | गाँव के लोगों ने उन्हें सलाह दी कि अस्पताल वाले ऐसे ही बोलते है , तुम इनके चक्कर में मत पड़ो | तुम अपने बच्चे को किसी तांत्रिक के पास ले जाओ | इसके ग्रह और दान और पूजा करवाओ | यह सुनकर बच्चे के परिवार ऐसा ही किया | उनके पास जो कुछ था सब दान कर दिया | तांत्रिक लोगों के बहुत चक्कर काटे |
बच्चे को कोई फर्क नहीं पड़ा | उसकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती गई | उन लोगों ने डॉक्टर पर विश्वास न रखकर अंधविश्वास के चक्कर में पड़ गया | 15 दिन बाद उस बच्चे की मृत्यु हो गई | पूरा परिवार टूट गया | अब परिवार के पास रोने के अलावा कुछ नहीं था |
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