नुष्य का जन्म से ही स्वभाव रहा है। यही कारन है कि आज हमारे सामने इतने आविष्कार हो चुके हैं की हमारा जीवन बहुत सरलता से निकल रहा है। लेकिन किसी भी कार्य के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज होती है – भाषा।
बिना भाषा के हमारा कोई भी किया कार्य हम दूसरे को नहीं बता सकते। आज दुनिया भर में लगभग 6900 भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की इन भाषाओं की जननी कौन है? नहीं? कोई बात नहीं आज हम आपको दुनिया की सबसे पुरानी भाषा के बारे में विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं। दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है इस भाषा की वैज्ञानिकता का अध्ययन करके ही अनुसंधान संस्था नासा ने 1987 ई. में ही संस्कृत को कंप्यूटर के लिए सर्वोत्तम भाषा घोषित कर दिया था, जिस कारण आज उस संस्था के द्वारा संस्कृत में सतत शोध किए जा रहे हैं। पाश्चात्य भाषा वैज्ञानिकों ने पाणिनि-व्याकरण को मानवीय-बुद्धिमत्ता की सर्वोत्कृष्ट रचना कहा है।
संस्कृत साहित्य मानव सभ्यता के प्राचीन इतिहास से जुड़ी विश्व की प्राचीन भाषा है जो कि आधुनिक भाषा के रूप में सर्वथा सार्थक है। संस्कृत भाषा को लोकप्रिय एवं हर व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता बनानी चाहिए तभी लोग संस्कृत के प्रति अपना उत्साह दिखाएंगे। आज के भौतिकवादी युग में संस्कृत भाषा को सबसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है परन्तु हमेशा ही आम लोगों के प्रोत्साहन एवं विश्वास के कारण यह समृद्ध भाषा रही है। ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ली सरकार द्वारा झंडेवालान करोल बाग नई दिल्ली में आयोजित संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के मुख्य अतिथि दिल्ली संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष एवं शिक्षाविद् डॉ. श्रीकृष्ण सेमवार ने व्यक्त किए। डॉ. सेमवाल ने आगे कहा कि आज की प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य यह है कि शिक्षा के पाठ्य्कमर में शिक्षण की नई-नई विध्यां आ रही हैं। आधुनिक शिक्षा त्वरित एवं तकनीकी माद्यम पर आधारित हो गई है। हमें भी शिक्षम के क्षेत्र में सभी पहलुओं पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। संस्कृत शिक्षण को भी इसी के अनुरूप बनाना चाहिए। संस्कृत को संस्कृत भाषा के माध्यम से ही पढ़ाना चाहिए। छात्रों में संस्कृत शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए संस्कृत को सरल एवं लोकप्रिय पाठ्यक्रम सामग्री से युक्त किया जाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक एवं प्रयोगात्मक शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है। संस्कृत भाषा में विषयवस्तु प्राचीन काल से ही निहित है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री लाल बहादुर शास्त्राr राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के प्रशिक्षण विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चन्द्रहास शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत के महत्व को सभी देश समझ रहे हैं। विदेशों में शोध से ज्ञात हुआ है कि संस्कृतके मनन एवं चिन्तन से व्यक्ति की कार्य क्षमता बढ़ती है। न्याय व्यवस्था बनती है। इसलिए कई देशों में गीता का अध्ययन शिक्षा में शामिल कर दिया है। संस्कृत संसार के लिए सबसे बड़ी निधि है। इसमें समाज के निर्माम की क्षमताएं हैं। संस्कृत में गहराई है। तत्वदर्शन है। विद्यालय स्तर पर संस्कृत अधिक से अधिक छात्रों को संस्कृत से जोड़ा जा सकता है। यही एक कुशल शिक्षक का गुण होता है। कार्यक्रम इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री लाल बहादुर शास्त्राr राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के प्रशिक्षण विभाग के अध्यक्ष प्रो. नागेन्द्र झा ने कहा कि शिक्षकों से मेरा आग्रह है कि वे अधिक से अधिक संस्कृत भाषा काप्रयोग आपस में बातचीत के लिए करें। कोई भी भाषा बोलने से ही जीवंत रहती है। संस्कृत को जीवंत बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक बोलचाल में संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए। विद्यालय स्तर पर संस्कृत को संस्कृत भाषा में ही पढ़ाने का प्रयास करन ाचाहिए। इससे छात्रों को संस्कृत बोलने पढ़ने का स्वत ही ज्ञान हो सकेगा। आज के तकीनीकी युग में संस्कृत विषय को उन्नत रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। शिक्षकों को शिक्षण के नए-नए प्रयोगों के माध्यम से संस्कृत शिक्षण को अधिक से अधिक लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए।
आज के विश्व में संस्कृत का महत्व संस्कृत का ज्ञान कई अन्य भाषाओं को सीखना आसान बनाता है और भाषा निर्माण और मौखिक स्मृति के लिए एक महान आधार है। यही कारण है कि कई भारतीय धाराप्रवाह अंग्रेजी और कई अन्य यूरोपीय और एशियाई भाषाएं बोल सकते हैं।
Explanation:
हम संस्कृत भाषा के लिए जाने जाते हैं। यह इतिहास की सबसे प्राचीन भाषा है और यह हर भाषा में एक महान भूमिका निभाती है लेकिन विशेष रूप से यह भारतीय भाषाओं को प्रभावित करती है। यह हिंदी को प्रभावित करता है जो भारत की प्रमुख भाषा है। संस्कृत इंडो-आर्यन भाषाओं को भी प्रभावित करती है।
संस्कृत सीखने के लाभ
यह एक प्राकृतिक भाषा है; शब्द के साथ इसका सीधा संबंध होने के कारण इसे समझना बहुत आसान है। यह बहुत तार्किक है; इसलिए संस्कृत में वाक्य रचना करना काफी आसान है। शब्दों को किसी भी क्रम में रखने से वाक्य का अर्थ नहीं बदल जाता है। इस प्रकार भाषा बहुत लचीली है।
मस्तिष्क व्यायाम
संस्कृत के प्रयोग से मस्तिष्क की क्षमता का विस्तार और सुधार होता है। संस्कृत भजन सीखने से फोकस और अवधारण में सुधार होता है। प्राचीन भारत में, युवा और बूढ़े समान रूप से वैदिक भजन गाए जाते थे। वैदिक मंत्रों के निरंतर जाप से स्मरण शक्ति और सोचने की शक्ति बढ़ती है। जब प्रतिदिन अभ्यास किया जाता है, तो नामजप का आराम प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति भी सकारात्मक वाइब्स का अनुभव करता है, जीवन को पूर्ण बनाता है और संतुष्टि प्रदान करता है। इस प्रकार संस्कृत सीखना किसी के जीवन का अभिन्न अंग बन सकता है।
संस्कृतएक इंडो-यूरोपीय भाषा है, और इसलिए प्राचीन यूरोपीय भाषाएं जैसे ग्रीक, लैटिन और जर्मन भी इससे प्रभावित हुई हैं। संस्कृत जानने से व्यक्ति अन्य भाषाओं को भी सीख सकता है।
संस्कृत सीखना साध्य नहीं, साध्य का साधन है।
संस्कृत भाषा के ज्ञान से हम अपने धार्मिक ग्रन्थ आसानी से समझ और कंठस्त कर सकते है।
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नुष्य का जन्म से ही स्वभाव रहा है। यही कारन है कि आज हमारे सामने इतने आविष्कार हो चुके हैं की हमारा जीवन बहुत सरलता से निकल रहा है। लेकिन किसी भी कार्य के लिए सबसे ज्यादा जरूरी चीज होती है – भाषा।
बिना भाषा के हमारा कोई भी किया कार्य हम दूसरे को नहीं बता सकते। आज दुनिया भर में लगभग 6900 भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की इन भाषाओं की जननी कौन है? नहीं? कोई बात नहीं आज हम आपको दुनिया की सबसे पुरानी भाषा के बारे में विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं। दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है इस भाषा की वैज्ञानिकता का अध्ययन करके ही अनुसंधान संस्था नासा ने 1987 ई. में ही संस्कृत को कंप्यूटर के लिए सर्वोत्तम भाषा घोषित कर दिया था, जिस कारण आज उस संस्था के द्वारा संस्कृत में सतत शोध किए जा रहे हैं। पाश्चात्य भाषा वैज्ञानिकों ने पाणिनि-व्याकरण को मानवीय-बुद्धिमत्ता की सर्वोत्कृष्ट रचना कहा है।
संस्कृत साहित्य मानव सभ्यता के प्राचीन इतिहास से जुड़ी विश्व की प्राचीन भाषा है जो कि आधुनिक भाषा के रूप में सर्वथा सार्थक है। संस्कृत भाषा को लोकप्रिय एवं हर व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता बनानी चाहिए तभी लोग संस्कृत के प्रति अपना उत्साह दिखाएंगे। आज के भौतिकवादी युग में संस्कृत भाषा को सबसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है परन्तु हमेशा ही आम लोगों के प्रोत्साहन एवं विश्वास के कारण यह समृद्ध भाषा रही है। ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ली सरकार द्वारा झंडेवालान करोल बाग नई दिल्ली में आयोजित संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के मुख्य अतिथि दिल्ली संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष एवं शिक्षाविद् डॉ. श्रीकृष्ण सेमवार ने व्यक्त किए। डॉ. सेमवाल ने आगे कहा कि आज की प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य यह है कि शिक्षा के पाठ्य्कमर में शिक्षण की नई-नई विध्यां आ रही हैं। आधुनिक शिक्षा त्वरित एवं तकनीकी माद्यम पर आधारित हो गई है। हमें भी शिक्षम के क्षेत्र में सभी पहलुओं पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। संस्कृत शिक्षण को भी इसी के अनुरूप बनाना चाहिए। संस्कृत को संस्कृत भाषा के माध्यम से ही पढ़ाना चाहिए। छात्रों में संस्कृत शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए संस्कृत को सरल एवं लोकप्रिय पाठ्यक्रम सामग्री से युक्त किया जाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक एवं प्रयोगात्मक शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है। संस्कृत भाषा में विषयवस्तु प्राचीन काल से ही निहित है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री लाल बहादुर शास्त्राr राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के प्रशिक्षण विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चन्द्रहास शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत के महत्व को सभी देश समझ रहे हैं। विदेशों में शोध से ज्ञात हुआ है कि संस्कृतके मनन एवं चिन्तन से व्यक्ति की कार्य क्षमता बढ़ती है। न्याय व्यवस्था बनती है। इसलिए कई देशों में गीता का अध्ययन शिक्षा में शामिल कर दिया है। संस्कृत संसार के लिए सबसे बड़ी निधि है। इसमें समाज के निर्माम की क्षमताएं हैं। संस्कृत में गहराई है। तत्वदर्शन है। विद्यालय स्तर पर संस्कृत अधिक से अधिक छात्रों को संस्कृत से जोड़ा जा सकता है। यही एक कुशल शिक्षक का गुण होता है। कार्यक्रम इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री लाल बहादुर शास्त्राr राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के प्रशिक्षण विभाग के अध्यक्ष प्रो. नागेन्द्र झा ने कहा कि शिक्षकों से मेरा आग्रह है कि वे अधिक से अधिक संस्कृत भाषा काप्रयोग आपस में बातचीत के लिए करें। कोई भी भाषा बोलने से ही जीवंत रहती है। संस्कृत को जीवंत बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक बोलचाल में संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए। विद्यालय स्तर पर संस्कृत को संस्कृत भाषा में ही पढ़ाने का प्रयास करन ाचाहिए। इससे छात्रों को संस्कृत बोलने पढ़ने का स्वत ही ज्ञान हो सकेगा। आज के तकीनीकी युग में संस्कृत विषय को उन्नत रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। शिक्षकों को शिक्षण के नए-नए प्रयोगों के माध्यम से संस्कृत शिक्षण को अधिक से अधिक लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए।
Answer:
आज के विश्व में संस्कृत का महत्व संस्कृत का ज्ञान कई अन्य भाषाओं को सीखना आसान बनाता है और भाषा निर्माण और मौखिक स्मृति के लिए एक महान आधार है। यही कारण है कि कई भारतीय धाराप्रवाह अंग्रेजी और कई अन्य यूरोपीय और एशियाई भाषाएं बोल सकते हैं।
Explanation:
हम संस्कृत भाषा के लिए जाने जाते हैं। यह इतिहास की सबसे प्राचीन भाषा है और यह हर भाषा में एक महान भूमिका निभाती है लेकिन विशेष रूप से यह भारतीय भाषाओं को प्रभावित करती है। यह हिंदी को प्रभावित करता है जो भारत की प्रमुख भाषा है। संस्कृत इंडो-आर्यन भाषाओं को भी प्रभावित करती है।
संस्कृत सीखने के लाभ
यह एक प्राकृतिक भाषा है; शब्द के साथ इसका सीधा संबंध होने के कारण इसे समझना बहुत आसान है। यह बहुत तार्किक है; इसलिए संस्कृत में वाक्य रचना करना काफी आसान है। शब्दों को किसी भी क्रम में रखने से वाक्य का अर्थ नहीं बदल जाता है। इस प्रकार भाषा बहुत लचीली है।
मस्तिष्क व्यायाम
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