सुभागी बहुत परिश्रमी थी वह पहर रात से उठ कर कूटने पीसने में लग जाती, चोका बर्तन करती, गोबर थापती, खेत में काम करने चली जाती, दोपहर में आकर जल्दी जल्दी खाना पका कर सब को खिलाती । सुभागी में सेवा भावना कूट-कूट कर भरी थी । वह रात को कभी मां के सिर में तेल लगाती, कभी उसकी देह दबाती ।
Answers & Comments
Verified answer
Answer:
सुभागी बहुत परिश्रमी थी वह पहर रात से उठ कर कूटने पीसने में लग जाती, चोका बर्तन करती, गोबर थापती, खेत में काम करने चली जाती, दोपहर में आकर जल्दी जल्दी खाना पका कर सब को खिलाती । सुभागी में सेवा भावना कूट-कूट कर भरी थी । वह रात को कभी मां के सिर में तेल लगाती, कभी उसकी देह दबाती ।