स्कूल कार्निवल वास्तव में एक उत्सव का अवसर होता है। बच्चे अपने स्कूल बैग के बिना स्कूल जाते हैं। कोई शिक्षण कार्यक्रम नहीं होता है। छात्र अपने दोस्तों के साथ आते हैं। दिन भर छात्र दोस्तों के संग मस्ती करते है। परिवार भी इस आयोजन में शामिल होते हैं। वे विभिन्न खेल और खाद्य की दुकानों पर जाते हैं और विभिन्न खेल खेलते हैं और नमकीन खाते हैं। पृष्ठभूमि (बैकग्राउंड) में संगीत बजता रहता है। दुकानों (स्टालों) का प्रबंधन करने वाले छात्र और शिक्षक ग्राहक छात्रों से निपटने में व्यस्त रहते हैं।छात्र डीजे बिंदु पर अपने दोस्तों और शिक्षकों को नाचने और गाने समर्पित करने का आनंद लेते हैं। शाम तक स्टालों का प्रबंधन करने वाले छात्र थक कर चूर हो जाते हैं। और मस्ती भरा दिन खत्म होने को आता है। बच्चों को ऐसे दिन बहुत पसंद आते हैं और उसका उत्सुकता से इंतजार करते हैं।
यह किसी भी स्कूल का सबसे बड़ा कार्यक्रम होता है। इसकी तैयारी में हमारा विद्यालय कई महीने पहले से ही जुट जाता है। इसमें हिस्सा लेने के लिए आवेदन करना होता है। इसमें नाच, गाना, नाटक, खेलकूद आदि सभी प्रतियोगिताएं होती हैं। इसके लिए ऑडिशन लिए जाते हैं, जिसमें पास होने पर ही इसमें भाग लेने दिया जाता है।
उपसंहार
कार्निवल छात्रों को कर्तव्यों का आवंटन करता है जो उन्हें अधिक जिम्मेदार बनाते हैं। कर्तव्यों का यह आवंटन बच्चों को सीखता है कि काम के साथ मज़ा कैसे संतुलित किया जाय। यह हमें जीवन में सही संतुलन बनाने का महत्व सिखाता है। जब हम अपने कर्तव्यों को पूरा करते हैं, तो इससे हमें यह भी पता चलता है कि लोगों और वास्तविक दुनिया को कैसे संभालना चाहिए।
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