दुनिया कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई जीत लेगी. लेकिन इसके बाद हमारी दुनिया पहले जैसी नहीं होगी. दुनियाभर में कोविड-19 से अब तक करीब 70,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दुनियाभर में 12 लाख से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
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दुनियाभर में कोविड-19 से अब तक करीब 70,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दुनियाभर में 12 लाख से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
कोरोना वायरस का हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर खामियाजा भुगतना होगा. दुनिया को फिर से आकार देने में सालों की मेहनत लगेगी. वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन जैसे कदम कई अर्थव्यवस्थाओं को पूरी तरह से मंदी में धकेल सकते हैं. वित्तीय बाजार को भी कोरोना वायरस से पहले की स्थिति में लौटने में कई सालों का समय लग सकता है.
लॉकडाउन जैसे कदम से कई देशों में कोरोना पर नियंत्रण में मदद मिलेगी. लेकिन इसका बड़ा खामियाजा आम आदमी की स्वंतत्रता के रूप में चुकाना पड़ेगा. पहले से कई बड़े संगठन मसलन डब्ल्यूएचओ और संयुक्त राष्ट्र पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि इन संगठनों के बीच समन्वय की कमी रही है. विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना के बाद दुनिया में बड़ा बदलाव आ सकता है. ऐसा बदलाव पहले कभी देखने को नहीं मिला होगा.
इस बारे में कार्नेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस संस्थान में सीनियर फेलो हारून डेविड मिलर से पूछा गया कि क्या यह हेडलाइन होने जा रहा है या यह एक ट्रेंडलाइन है? यह भी पूछा गया, "क्या हम एक ऐसी घटना के गवाह बनने जा रहे हैं जो देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंधों को फिर से नया आकार देने जा रही है.
मिलर कहते हैं कि नई दुनिया कैसे होगी यह इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि तूफान का सामना (कोरोना से लड़ने) करने के लिए दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं किस तरह के कदम उठाती हैं और कोरोना के खतरों से निपटने में इन देशों की सरकारों का प्रदर्शन कैसा रहता है.
चीन, जहां इस वायरस की उत्पत्ति हुई है, गर्व से दावा करता है कि कोरोना का कहर समाप्त हो गया है. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प शुरू में खतरे की गंभीरता को कम आंकते दिखाई दिये और अब बड़े पैमाने पर संकट का सामना कर रहे हैं. भारत के आधिकारिक आंकड़े पश्चिम की तुलना में बहुत कम गंभीर हैं. भारत में इस बात को लेकर चिंता है कि आने वाला वक्त काफी बुरा होगा.
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लेकिन इसके बाद हमारी दुनिया पहले जैसी नहीं होगी. दुनियाभर में कोविड-19 से अब तक
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दुनिया कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई जीत लेगी. लेकिन इसके बाद हमारी दुनिया पहले जैसी नहीं होगी. दुनियाभर में कोविड-19 से अब तक करीब 70,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दुनियाभर में 12 लाख से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
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दुनियाभर में कोविड-19 से अब तक करीब 70,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दुनियाभर में 12 लाख से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामलों की पुष्टि हो चुकी है.
कोरोना वायरस का हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर खामियाजा भुगतना होगा. दुनिया को फिर से आकार देने में सालों की मेहनत लगेगी. वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन जैसे कदम कई अर्थव्यवस्थाओं को पूरी तरह से मंदी में धकेल सकते हैं. वित्तीय बाजार को भी कोरोना वायरस से पहले की स्थिति में लौटने में कई सालों का समय लग सकता है.
लॉकडाउन जैसे कदम से कई देशों में कोरोना पर नियंत्रण में मदद मिलेगी. लेकिन इसका बड़ा खामियाजा आम आदमी की स्वंतत्रता के रूप में चुकाना पड़ेगा. पहले से कई बड़े संगठन मसलन डब्ल्यूएचओ और संयुक्त राष्ट्र पर सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि इन संगठनों के बीच समन्वय की कमी रही है. विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना के बाद दुनिया में बड़ा बदलाव आ सकता है. ऐसा बदलाव पहले कभी देखने को नहीं मिला होगा.
इस बारे में कार्नेगी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस संस्थान में सीनियर फेलो हारून डेविड मिलर से पूछा गया कि क्या यह हेडलाइन होने जा रहा है या यह एक ट्रेंडलाइन है? यह भी पूछा गया, "क्या हम एक ऐसी घटना के गवाह बनने जा रहे हैं जो देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंधों को फिर से नया आकार देने जा रही है.
मिलर कहते हैं कि नई दुनिया कैसे होगी यह इस बात पर बहुत कुछ निर्भर करेगा कि तूफान का सामना (कोरोना से लड़ने) करने के लिए दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं किस तरह के कदम उठाती हैं और कोरोना के खतरों से निपटने में इन देशों की सरकारों का प्रदर्शन कैसा रहता है.
चीन, जहां इस वायरस की उत्पत्ति हुई है, गर्व से दावा करता है कि कोरोना का कहर समाप्त हो गया है. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प शुरू में खतरे की गंभीरता को कम आंकते दिखाई दिये और अब बड़े पैमाने पर संकट का सामना कर रहे हैं. भारत के आधिकारिक आंकड़े पश्चिम की तुलना में बहुत कम गंभीर हैं. भारत में इस बात को लेकर चिंता है कि आने वाला वक्त काफी बुरा होगा.