वंशीधर के लिए उनका काम धर्म के समान था। उन्होंने लालच को छोड़कर अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी को चुना। उन्होंने अलोपीदीन द्वारा दिए गए 40 हज़ार रुपयों के लालच को अनदेखा कर दिया। धर्म की जीत हुई और धन की हार हो गई।
वंशीधर के लिए उनका काम धर्म के समान था। उन्होंने लालच को छोड़कर अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी को चुना। उन्होंने अलोपीदीन द्वारा दिए गए 40 हज़ार रुपयों के लालच को अनदेखा कर दिया। धर्म की जीत हुई और धन की हार हो गई।
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वंशीधर के लिए उनका काम धर्म के समान था। उन्होंने लालच को छोड़कर अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी को चुना। उन्होंने अलोपीदीन द्वारा दिए गए 40 हज़ार रुपयों के लालच को अनदेखा कर दिया। धर्म की जीत हुई और धन की हार हो गई।
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वंशीधर के लिए उनका काम धर्म के समान था। उन्होंने लालच को छोड़कर अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी को चुना। उन्होंने अलोपीदीन द्वारा दिए गए 40 हज़ार रुपयों के लालच को अनदेखा कर दिया। धर्म की जीत हुई और धन की हार हो गई।
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वंशीधर के लिए उनका काम धर्म के समान था। उन्होंने लालच को छोड़कर अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी को चुना। उन्होंने अलोपीदीन द्वारा दिए गए 40 हज़ार रुपयों के लालच को अनदेखा कर दिया। धर्म की जीत हुई और धन की हार हो गई।
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