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व्याकरण की दृष्टि से स्वर के दो भेद होते हैं - मूल स्वर - वे स्वर है जो अखंड है। अर्थात इनके और छोटे-छोटे टुकड़े नहीं किए जा सकते। संधि स्वर - किसी न किसी अन्य स्वर्ग की संधि से बनते हैं। अ + अ = आ, अ + इ = ए, इ + इ = ई , अ + ए = ऐ आदि ।
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व्याकरण की दृष्टि से स्वर के दो भेद होते हैं - मूल स्वर - वे स्वर है जो अखंड है। अर्थात इनके और छोटे-छोटे टुकड़े नहीं किए जा सकते। संधि स्वर - किसी न किसी अन्य स्वर्ग की संधि से बनते हैं। अ + अ = आ, अ + इ = ए, इ + इ = ई , अ + ए = ऐ आदि ।