Answer:
अपनी यात्रा खत्म होने के बाद फनेनी नामक गांव में आए और स्वयं को एक असाध्य रोग से ग्रसित कर लिया जो उनकी का कारण बन सके। अपने अनुयायियों को उन्होंने आश्वासन दिया और साथ ही विश्वास बंधाया कि दिव्य पुरुष कभी धरती छोड़कर नहीं जाते है।
" ना आदि, ना अंत है उसका
विष पीकर भी अडिग, अमर है "
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अपनी यात्रा खत्म होने के बाद फनेनी नामक गांव में आए और स्वयं को एक असाध्य रोग से ग्रसित कर लिया जो उनकी का कारण बन सके। अपने अनुयायियों को उन्होंने आश्वासन दिया और साथ ही विश्वास बंधाया कि दिव्य पुरुष कभी धरती छोड़कर नहीं जाते है।
" ना आदि, ना अंत है उसका
विष पीकर भी अडिग, अमर है "
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