भीष्म ने कोश के पास अर्जुन को भेजा क्योंकि वह जानते थे कि अर्जुन ही एकमात्र योद्धा हैं जो कौरवों के महान योद्धा कर्ण को पराजित कर सकते हैं। भीष्म जानते थे कि कर्ण का धनुर्विद्या में कोई सानी नहीं है, और केवल अर्जुन ही उसकी शौर्य और पराक्रम का मुकाबला कर सकते हैं।
भीष्म ने अर्जुन को कोश के पास भेजने का फैसला तब किया जब उन्होंने देखा कि कर्ण कौरवों की सेना में एक शक्तिशाली योद्धा के रूप में उभर रहा है। भीष्म जानते थे कि अगर कर्ण को नहीं रोका गया, तो वह पांडवों के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा।
भीष्म ने अर्जुन को यह भी बताया कि कर्ण का जन्म एक सूर्यवंशी राजा और एक क्षत्रिय स्त्री से हुआ था। भीष्म जानते थे कि यह जानकर अर्जुन कर्ण को पराजित करने के लिए और अधिक दृढ़ संकल्पित हो जाएंगे।
अर्जुन ने भीष्म की बात मानी और कोश के पास गए। उन्होंने कर्ण को युद्ध के लिए ललकारा, और कर्ण ने भी उनका चुनौती स्वीकार कर ली। दोनों महान योद्धाओं के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें अंततः अर्जुन ने कर्ण को पराजित कर दिया।
अर्जुन के द्वारा कर्ण को पराजित करने से कौरवों की सेना को एक बड़ा नुकसान हुआ। यह भीष्म की दूरदर्शिता का परिणाम था कि उन्होंने अर्जुन को कोश के पास भेजा, और इस तरह उन्होंने पांडवों की विजय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यहां भीष्म द्वारा अर्जुन को कोश के पास भेजने के कुछ कारण दिए गए हैं:
* भीष्म जानते थे कि अर्जुन ही एकमात्र योद्धा हैं जो कौरवों के महान योद्धा कर्ण को पराजित कर सकते हैं।
* भीष्म चाहते थे कि अर्जुन को कर्ण का जन्म एक सूर्यवंशी राजा और एक क्षत्रिय स्त्री से हुआ था, यह जानकर पता चले।
* भीष्म चाहते थे कि अर्जुन और कर्ण के बीच एक युद्ध हो, ताकि कौरवों की सेना को एक बड़ा नुकसान हो।
यह भी उल्लेखनीय है कि भीष्म ने अर्जुन को कोश के पास भेजने के लिए एक छल का सहारा लिया। उन्होंने अर्जुन से कहा कि वह उन्हें एक गुप्त खजाने के बारे में बताना चाहता है, और अर्जुन कोश के पास गया ताकि वह खजाने को देख सके। हालांकि, भीष्म का असली इरादा अर्जुन को कर्ण से लड़ने के लिए भेजना था।
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भीष्म ने कोश के पास अर्जुन को भेजा क्योंकि वह जानते थे कि अर्जुन ही एकमात्र योद्धा हैं जो कौरवों के महान योद्धा कर्ण को पराजित कर सकते हैं। भीष्म जानते थे कि कर्ण का धनुर्विद्या में कोई सानी नहीं है, और केवल अर्जुन ही उसकी शौर्य और पराक्रम का मुकाबला कर सकते हैं।
भीष्म ने अर्जुन को कोश के पास भेजने का फैसला तब किया जब उन्होंने देखा कि कर्ण कौरवों की सेना में एक शक्तिशाली योद्धा के रूप में उभर रहा है। भीष्म जानते थे कि अगर कर्ण को नहीं रोका गया, तो वह पांडवों के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा।
भीष्म ने अर्जुन को यह भी बताया कि कर्ण का जन्म एक सूर्यवंशी राजा और एक क्षत्रिय स्त्री से हुआ था। भीष्म जानते थे कि यह जानकर अर्जुन कर्ण को पराजित करने के लिए और अधिक दृढ़ संकल्पित हो जाएंगे।
अर्जुन ने भीष्म की बात मानी और कोश के पास गए। उन्होंने कर्ण को युद्ध के लिए ललकारा, और कर्ण ने भी उनका चुनौती स्वीकार कर ली। दोनों महान योद्धाओं के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें अंततः अर्जुन ने कर्ण को पराजित कर दिया।
अर्जुन के द्वारा कर्ण को पराजित करने से कौरवों की सेना को एक बड़ा नुकसान हुआ। यह भीष्म की दूरदर्शिता का परिणाम था कि उन्होंने अर्जुन को कोश के पास भेजा, और इस तरह उन्होंने पांडवों की विजय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यहां भीष्म द्वारा अर्जुन को कोश के पास भेजने के कुछ कारण दिए गए हैं:
* भीष्म जानते थे कि अर्जुन ही एकमात्र योद्धा हैं जो कौरवों के महान योद्धा कर्ण को पराजित कर सकते हैं।
* भीष्म चाहते थे कि अर्जुन को कर्ण का जन्म एक सूर्यवंशी राजा और एक क्षत्रिय स्त्री से हुआ था, यह जानकर पता चले।
* भीष्म चाहते थे कि अर्जुन और कर्ण के बीच एक युद्ध हो, ताकि कौरवों की सेना को एक बड़ा नुकसान हो।
यह भी उल्लेखनीय है कि भीष्म ने अर्जुन को कोश के पास भेजने के लिए एक छल का सहारा लिया। उन्होंने अर्जुन से कहा कि वह उन्हें एक गुप्त खजाने के बारे में बताना चाहता है, और अर्जुन कोश के पास गया ताकि वह खजाने को देख सके। हालांकि, भीष्म का असली इरादा अर्जुन को कर्ण से लड़ने के लिए भेजना था।