प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण मलेरिया होता है।
प्राकृतिक संक्रमण के दौरान मनुष्य में मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है।
इसके टीके केवल बैक्टीरिया के विरुद्ध विकसित किये जा सकते हैं।
मनुष्य केवल एक मध्यवर्ती मेजबान है, न कि निश्चित मेज़बान।
अफ्रीकी देशों में मलावी पहला देश, जहां ये वैक्सीन उपलब्ध
वैक्सीन का नाम आरटीएस-एस दिया गया है। इसे तैयार करने में करीब 30 साल का समय लगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसे लगाने के बाद बच्चों में मलेरिया नियंत्रण में सफलता मिलेगी।
RTS,S/AS01, व्यावसायिक नाम मॉसक्विरिक्स, अफ्रीका में सबसे प्रचलित मलेरिया स्ट्रेन पी. फाल्सीपेरम को लक्षित करने वाली एक वैक्सीन है। यह छोटे बच्चों को आंशिक सुरक्षा प्रदान करने वाला पहला और एकमात्र टीका है।
इसे 1987 में ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा विकसित किया गया था।
मॉसक्विरिक्स में सक्रिय पदार्थ, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी (PFP) की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बना होता है।
RTS,S का उद्देश्य मलेरिया मच्छर के काटने से मानव रक्तप्रवाह में इसके प्रवेश करने और यकृत कोशिकाओं को संक्रमित करने के पहले चरण से ही बचाव के लिये प्रतिरक्षा प्रणाली तैयार करना है ।
यह हेपेटाइटिस B वायरस से लीवर के संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है।
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अफ्रीकी देशों में मलावी पहला देश, जहां ये वैक्सीन उपलब्ध
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वैक्सीन के बारे में:
RTS,S/AS01, व्यावसायिक नाम मॉसक्विरिक्स, अफ्रीका में सबसे प्रचलित मलेरिया स्ट्रेन पी. फाल्सीपेरम को लक्षित करने वाली एक वैक्सीन है। यह छोटे बच्चों को आंशिक सुरक्षा प्रदान करने वाला पहला और एकमात्र टीका है।
इसे 1987 में ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा विकसित किया गया था।
मॉसक्विरिक्स में सक्रिय पदार्थ, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी (PFP) की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बना होता है।
RTS,S का उद्देश्य मलेरिया मच्छर के काटने से मानव रक्तप्रवाह में इसके प्रवेश करने और यकृत कोशिकाओं को संक्रमित करने के पहले चरण से ही बचाव के लिये प्रतिरक्षा प्रणाली तैयार करना है ।
यह हेपेटाइटिस B वायरस से लीवर के संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है।