Answer:हनुमान प्रसाद जी को हरी सब्ज़ी का मर्ज़ था क्योंकि किस सब्ज़ी में कितने विटामिन होते हैं, कितना लोहा, कितना चूना, कितना कत्था, कितनी लकड़ी, कितनी ईंट... इसका जितना ज्ञान उनको था, वैसा किसी पोस्टमास्टर को अब तक निकले हुए डाक-टिकटों के बारे में भी नहीं था। लोगों को सचेत करते रहना पड़ा।
हरे धनिए की गड्डी पैसे पैसे या दो पैसे की तीन लेना, शलजम के पत्ते तुड़वाकर खाने का आग्रह करना, आलू छाँट-छाँटकर चढ़वाना, सड़ा कुम्हड़ा दूसरे दिन कटा हुआ वापस कराना और अरबी धुलवाकर, मिट्टी हटाकर लेना आदि के कारण कोई मन से उन्हें अपनी दुकान पर नहीं बुलाना चाहता। बाबू हनुमान प्रसाद को हरी सब्जी का मर्ज़ है।
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Answer:हनुमान प्रसाद जी को हरी सब्ज़ी का मर्ज़ था क्योंकि किस सब्ज़ी में कितने विटामिन होते हैं, कितना लोहा, कितना चूना, कितना कत्था, कितनी लकड़ी, कितनी ईंट... इसका जितना ज्ञान उनको था, वैसा किसी पोस्टमास्टर को अब तक निकले हुए डाक-टिकटों के बारे में भी नहीं था। लोगों को सचेत करते रहना पड़ा।
Hi dear How are you
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हरे धनिए की गड्डी पैसे पैसे या दो पैसे की तीन लेना, शलजम के पत्ते तुड़वाकर खाने का आग्रह करना, आलू छाँट-छाँटकर चढ़वाना, सड़ा कुम्हड़ा दूसरे दिन कटा हुआ वापस कराना और अरबी धुलवाकर, मिट्टी हटाकर लेना आदि के कारण कोई मन से उन्हें अपनी दुकान पर नहीं बुलाना चाहता। बाबू हनुमान प्रसाद को हरी सब्जी का मर्ज़ है।
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hlo