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विश्वभाषा से तीसरी अपेक्षा है कि भाषा में विश्व मन का भाव हो। हिंदी भाषी अपने देश में भी अनेक राज्यों में निवास करने के कारण प्रांतीयता से ऊपर उठा हुआ है और उसके पास ऐसे साहित्य की विशाल परंपरा है, जो विश्व के पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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विश्वभाषा से तीसरी अपेक्षा है कि भाषा में विश्व मन का भाव हो। हिंदी भाषी अपने देश में भी अनेक राज्यों में निवास करने के कारण प्रांतीयता से ऊपर उठा हुआ है और उसके पास ऐसे साहित्य की विशाल परंपरा है, जो विश्व के पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।