42 भोर और बरखा बरसे बदरिया सावन की। सावन की, मन-भावन की। सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की। उमड़-घुमड़ चहुँदिस से आया, दामिन दमकै झर लावन की।। नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सुहावन की। मीरा के प्रभु गिरधर नागर! आनंद-मंगल गावन की। मीरा बाई प्रश्न-अभ्यास exp
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आपके प्रश्न का उत्तर निम्नलिखित है:
1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
- पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती उन्हें उनके उन रूपों का स्मरण कराकर करती हैं जिसके द्वारा उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा की थी.
2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं?
- मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण के समीप रहने के लिए उनकी चाकरी करना चाहती हैं.
3. मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रुप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
- मीरा श्रीकृष्ण के रुप-सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि उनके सिर पर मोर के पंखों का मुकुट है, गले में वैजंती फूलों की माला है.
4. मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
- मीराबाई की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की भाषा है जिसमें राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण है.
5. वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?
- मीरा कृष्ण को पाने के लिए विभिन्न कार्य करने को तैयार हैं.