भारत का इतिहास अंग्रेजों ने लिखा जिसके चलते देश के हिन्दू और मुसलमानों में भ्रम और द्वेष की स्थिति फैल गई, जो आज तक फैली हुई है। इतिहास के इस भ्रम और झूठ को हटाकर अब लोगों को सत्य बताने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन इतिहास के सच को उसी तरह लिखा जाना चाहिए, जैसा कि वह है। जस का तस। किसी भी प्रकार की सचाई को छिपाना इतिहास के साथ खिलवाड़ करना है। जिस देश के पास अपना खुद का कोई सच्चा इतिहास नहीं, उस देश के नागरिकों में राष्ट्रीयता और गौरवबोध की भावना का विकास होना भी मुश्किल होता है।
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विदेशी तत्वों के भारत में अधिकाधिक आत्मसात होने का सबसे महत्त्वपूर्ण संकेत, उनके द्वारा देश की आम भाषा का प्रयोग था राजनीति की संज्ञा दी जाती है।
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भारत का इतिहास अंग्रेजों ने लिखा जिसके चलते देश के हिन्दू और मुसलमानों में भ्रम और द्वेष की स्थिति फैल गई, जो आज तक फैली हुई है। इतिहास के इस भ्रम और झूठ को हटाकर अब लोगों को सत्य बताने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन इतिहास के सच को उसी तरह लिखा जाना चाहिए, जैसा कि वह है। जस का तस। किसी भी प्रकार की सचाई को छिपाना इतिहास के साथ खिलवाड़ करना है। जिस देश के पास अपना खुद का कोई सच्चा इतिहास नहीं, उस देश के नागरिकों में राष्ट्रीयता और गौरवबोध की भावना का विकास होना भी मुश्किल होता है।
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