भारतीय संविधान में कुल 22 भाग हैं। उनमें से भाग 3 और 4 का इस विषय/प्रश्न के संदर्भ में अतिमहत्व जान पड़ता है। भाग 3 हमारे मुलाधिकार से और भाग 4 (डीपीएसपी) राज्य को कैसा होना चाहिए से संबंधित है।
1. भाग 3, अनुच्छेद 19(1)(F) - लोगों को संपत्ति (अर्जन, धारण और व्यय) का अधिकार देता है।
डीपीएसएपी, 39B & 39C - आर्थिक बराबरी से संदर्भित है।
2. भाग 3, अनुच्छेद 14 & 15 - समानता की बात करता है।
डीपीएसपी,अनुच्छेद 46 - SC/ST/आर्थिक तौर पर अन्य पिछड़े वर्गों को बढ़ावा देने से संबंधित है।
3. भाग 3, अनुच्छेद 25से28 - धार्मिक स्वतंत्रता की बात करता है।
डीपीएसपी - शरीयत एप्लीकेशन लॉ, एक मुस्लिम पुरुष 4 विवाह कर सकता है।
आपने दोनों ही भागों के अंतर्विरोधी अनुच्छेद को देखा। इसका उत्तर दें कि ऐसा क्यों है? क्या ये उचित हैं? अगर उचित हैं तो स्पष्टीकरण दें।
Answers & Comments
भारतीय संविधान के भिन्न अनुच्छेदों में विभिन्न अधिकार और दायित्वों की चर्चा का कारण यह अंतरविरोध हो सकता है। यह अधिकार और दायित्व समाज के विभिन्न पहलुओं को मध्यस्थ करने का प्रयास है, लेकिन कई मामलों में यह अंतरविरोध उत्पन्न हो सकता है। इसमें उचितता का मूल्यांकन समाज में सामंजस्य और समरसता के माध्यम से किया जा सकता है।
संविधान में अलग-अलग सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ये अनुच्छेद बनाए गए हैं, ताकि समाज में समानता और न्याय की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके। इसका मकसद सामाजिक समरसता बनाए रखना है, लेकिन कभी-कभी इसका अनुपालन और समझाया जाना मुश्किल हो सकता है।
यह उचित है क्योंकि इससे समाज में समरसता बनी रहती है और सभी वर्गों को अधिकार और जिम्मेदारी की भावना होती है, लेकिन स्थितियों का संबंधित और विशेषांकन करते हुए उचितता का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है।