निम्नलिखित दोहों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
रूठे सुजन मनाइये, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि-फिरि पोहिये टूटे मुक्ताहार
तिनका कबहुँ न निन्दिये, जो पायन तर होय। कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
(क) 'मुक्ताहार' किसे कहा गया है और क्यों?
(ख) तिनके का उदाहरण दे कर कवि क्या समझाना चाहते हैं?
(ग) प्रस्तुत दोहों के कवियों का नाम लिखिए।
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Explanation:
तिनके का उदाहरण दे कर कवि क्या समझाना चाहते हैं?
उत्तर –:
(i) रहीम दास जी ने मुक्ता हार शब्द से समझाते हुए एक अच्छे व्यक्ति को कहा है जिस प्रकार एक मोती की माला के टूट जाने पर हम उसे दोबारा बनाते हैं उसी प्रकार अच्छे मनुष्य चाहे जितनी बार भी रूठ जाए हमे उन्हें उतनी बार मनाना चाहिए।
( ii)
तिनका कबहुँ न निन्दिये, जो पायन तर होय। कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
उत्तर –: इस दोहे के माध्यम से कबीर जी यह समझाना चाह रहे हैं एक छोटा सा तिनका जिसको हम पैरों से कुचल देते हैं वही तिनका अगर हमारी आंख में चला जाए तो वो छोटा सा तिनका हमे अत्याधिक पोस्ट पहुंच जाता है।
( iii )