मोर और सारस । एक मोर और सारस में बहुत गहरी मित्रता थी। वे हमेशा साथ-साथ घूमते थे। एक बार मोर बहुत प्रसन्न मुद्रा में था। वह सारस का मजाक उड़ाने लगा : "मित्र, मेरे लाजवाब पंखों और रंग-बिरंगी पूँछ को देखो। मैं कितना सुंदर दिखता हूं। क्या मैं रूपवान नहीं दिखता ? अब जरा खुद को देखो। तुम तो बिकुल ही सुदर नहीं हो । सिर से पैर तक तुम्हारा एक ही रंग है।" यह कहकर मोर सारस की हंसी उड़ाता हुआ नाचने लगा । सारस को यह बात पसंद नहीं आई। उसे मोर के इस व्यवहार पर आश्चर्य हुआ। वह समझता था कि मोर तो उसका दोस्त है। तब सारस ने कहा : "मित्र, इसमें कोई शक नहीं कि तुम्हारे पंख और पूंछ देखने में बहुत सुदर हैं। तुम दूसरों को अपना नृत्य दिखा कर प्रसन्न कर सकते हो। मगर मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि तुम्हारे सुंदर पंख और पूंछ किसी काम के नहीं हैं। तुम उड़ नहीं सकते। मुझे देखो मैं आकाश में ऊचा उड़ सकता हूँ।” इतना कहकर सारस ने अपने पंख फड़फड़ाए और आकाश में उड़ गया। आकाश में पहुंच कर वह दुबारा बोला : ”मित्र, आओ, अपने पंखों का उपयोग करते हुए मेरे साथ उडो।" परंतु भला मोर कैसे उड़ता। निष्कर्ष: घमंड सुंदरता पर नहीं योग्यता पर करो।
pls write the reflection of ths story
very imp no fake answers
Answers & Comments
प्रस्तुत पुस्तकात त्यांचं म्हणणं होतं की आमची स्वारी तिकडे लक्ष न देता इथे एक गोष्ट लक्षात आली की या गोष्टी प्रत्यक्ष पाहणारे आणि तरीही त्यांचे नाव आहे शेरा दिला नाही हे लक्षात आलं की मला लगेच चव बघायची होती आज आपण येथे घेणार आहे हे मला माहित नव्हतं आणि लग्न करतात हे सांगणार नाही हे लक्षात आलं की मला लगेच चव बघायची होती आज आपण येथे घेणार आहे हे मला माहित नव्हतं आणि लग्न करतात हे सांगणार नाही हे लक्षात आलं की मला लगेच चव बघायची होती आज आपण येथे घेणार आहे हे मला माहित नव्हतं आणि लग्न करतात हे सांगणार नाही हे लक्षात आल्यावर मी सगळा गोंधळ कुठून येतोय हे बघायला सगळे मुख्य रस्त्यावर येऊन तिचा नवरा काही हि संबंध नाही हे लक्षात आलं की ख