लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है? फ़ादर मानवीय गुणों से लबालब थे जिसमें मानव के प्रति कल्याण की भावना थी। अपनत्व, ममत्व, करुणा, प्रेम, वात्सल्य तथा सहृदयता थी। वे सहृदय इतने थे कि एक बार समीप आकर सदैव समीप बने रहते थे।
उत्तर: फादर बुल्के ने अपनी समस्त शिक्षा-दीक्षा हिंदी में की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. किया। प्रयाग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में रहकर 1950 में अपना शोध प्रबंध रामकथा उत्पत्ति और विकास पूरा किया। फादर ने अनेक अंग्रेजी रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया जैसे- 'ब्लू बर्ड' का अनुवाद 'नील पंछी' नाम से तथा बाइबिल का अनुवाद
उन्होंने अंग्रेजी-हिंदी शब्द कोश तैयार किया जो विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ।
- हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे और इसके लिए चिंता करते थे। वे इसके पक्ष में अकाट्य तर्क देते थे। हिंदी वालों द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा पर वे दुःखी होते थे।
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लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है? फ़ादर मानवीय गुणों से लबालब थे जिसमें मानव के प्रति कल्याण की भावना थी। अपनत्व, ममत्व, करुणा, प्रेम, वात्सल्य तथा सहृदयता थी। वे सहृदय इतने थे कि एक बार समीप आकर सदैव समीप बने रहते थे।
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उत्तर: फादर बुल्के ने अपनी समस्त शिक्षा-दीक्षा हिंदी में की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. किया। प्रयाग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में रहकर 1950 में अपना शोध प्रबंध रामकथा उत्पत्ति और विकास पूरा किया। फादर ने अनेक अंग्रेजी रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया जैसे- 'ब्लू बर्ड' का अनुवाद 'नील पंछी' नाम से तथा बाइबिल का अनुवाद
उन्होंने अंग्रेजी-हिंदी शब्द कोश तैयार किया जो विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ।
- हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे और इसके लिए चिंता करते थे। वे इसके पक्ष में अकाट्य तर्क देते थे। हिंदी वालों द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा पर वे दुःखी होते थे।
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