लेखिका के प्रति स्नेह-प्रदर्शन में वह उसके सिर के ऊपर से छलाँग लगा देती थी। सोना हिलमिल गई थी। एक वर्ष बाद हिरनी बन जाने पर, सोना की आँखों में विशेष आकर्षण उत्पन्न हो गया।
मेरे प्रति स्नेह प्रदर्शनी के उसके प्रकार थे बाहर खड़े होने पर वह सामने या पीछे से छलांग लगा दी और मेरे सिर के ऊपर से दूसरी और निकल जाती भीतर आने पर वह मेरे पैरों से अपना शरीर अगर लेती मेरे बैठने रहने पर वह साड़ी का चोर मुंह में भर लेती और कभी पीछे चुपचाप खड़े होकर चोटी को चबा डालती।
Answers & Comments
Answer:
लेखिका के प्रति स्नेह-प्रदर्शन में वह उसके सिर के ऊपर से छलाँग लगा देती थी। सोना हिलमिल गई थी। एक वर्ष बाद हिरनी बन जाने पर, सोना की आँखों में विशेष आकर्षण उत्पन्न हो गया।
Explanation:
मेरे प्रति स्नेह प्रदर्शनी के उसके प्रकार थे बाहर खड़े होने पर वह सामने या पीछे से छलांग लगा दी और मेरे सिर के ऊपर से दूसरी और निकल जाती भीतर आने पर वह मेरे पैरों से अपना शरीर अगर लेती मेरे बैठने रहने पर वह साड़ी का चोर मुंह में भर लेती और कभी पीछे चुपचाप खड़े होकर चोटी को चबा डालती।
HOPE THIS US HELPFUL
PLESE MARK ME IN BRANILT