23 पाठ में बताया गया है कि मेघालय में मातृवंशीय प्रणाली चलती है, जिसमें माँ से वंशावला चलता है। इस तरह की वंशावली किस तरह पितृ संचालित वंशावली से अलग है? इससे परिवारिक व्यवस्था तथा प्रत्येक सदस्यों के कार्य किस तरह से प्रभावित होते हैं? तर्क सहित अपने विचार लिखिए।
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Answer:
पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य में कई जनजातियाँ मातृवंशीय वंश का पालन करती हैं । खासी लोगों को अक्सर खासी लोगों और गारो लोगों के रूप में जाना जाता है , जो मेघालय में विभिन्न उपसमूहों के लिए एक व्यापक शब्द के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है, जिनकी अलग-अलग भाषाएं, संस्कार, समारोह और आदतें हैं, लेकिन वे की हिनीव ट्रेप के रूप में एक जातीय पहचान साझा करते हैं । सात झोपड़ियाँ) जबकि गारो लोग अचिक लोगों के विभिन्न समूहों को संदर्भित करते हैं। खासी, गारो और अन्य उपसमूहों के पास मातृवंशीयता सहित एक गौरवपूर्ण विरासत है , हालांकि 2004 में यह बताया गया था कि वे अपने कुछ मातृवंशीय लक्षण खो रहे थे। कहा जाता है कि जनजातियाँ दुनिया की "सबसे बड़ी जीवित मातृवंशीय संस्कृति" में से एक हैं।
Answer:
मातृवंशीय प्रणाली (माँ से वंशावला चलता है) और पितृ संचालित वंशावली में एक बड़ा अंतर होता है। पितृ संचालित वंशावली में परिवार के पुरुषों का परिवार के लिडरशिप और संपत्ति की विरासत का कंट्रोल होता है, जबकि मातृवंशीय प्रणाली में यह विरासत बेटियों को होती है। जब मां के वंशावली से वंशावली चलती है, तो परिवारिक व्यवस्था माता पुत्रों के सम्बंधों में पूरी तरह से बदल जाती है। प्रत्येक सदस्यों के कार्य भी अलग होते हैं, जैसे महिलाएं समाज की प्रबल रूप से सर्वोपरि होती हैं और उनका सच्चा विकास होता है।
इस प्रकार की प्रणाली में धार्मिक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कानून उन नियमों के साथ बनाए गए होते हैं जो बेटियां को सम्मानित कर इनका सामाजिक स्थान मजबूत करते हैं और परिवार के वास्तविक नेतृत्व का प्रबलीकरण करते हैं। इस तरह की प्रणाली से समाज में स्त्री सशक्तिकरण और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रोत्साहित किया जा सकता है।