शिक्षा व्यक्ति के जीवन में उसके समृद्धि और समाज में प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक प्रक्रिया है। शिक्षा के बिना मानव जीवन अधूरा और अन्यायी हो जाता है। शिक्षा व्यक्ति के बुद्धि, चरित्र, नैतिकता और सामाजिक विकास में सहायक होती है।
शिक्षा प्रणाली के गुण:
ज्ञान का स्त्रोत: अच्छी शिक्षा प्रणाली समृद्धि का स्रोत होती है जो विद्यार्थियों को ज्ञान की धारा से परिचित कराती है।
समाज का सहारा: शिक्षा व्यक्ति को समाज में सम्मान और आत्मविश्वास देती है और समाज के उन्नति में मदद करती है।
विचारशीलता: शिक्षित व्यक्ति विचारशील होता है और समस्याओं के समाधान के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है।
शिक्षा प्रणाली के दोष:
रटने की प्रवृत्ति: कुछ शिक्षा प्रणालियां सिर्फ रटने पर जोर देती हैं, जिससे विद्यार्थियों का समझने और समस्याओं को समाधान करने का क्षमता प्रवृत्ति कम होती है।
व्यक्तिगतीकरण: कुछ प्रणालियां विद्यार्थियों को एक सामान्य स्तर पर नहीं पहुंचने देती हैं और उन्हें अपनी रूचियों और दक्षताओं के अनुसार शिक्षित नहीं करती।
सारांशतः, शिक्षा व्यक्ति के विकास और समाज में प्रगति के लिए आवश्यक है और अच्छी शिक्षा प्रणाली ज्ञान के स्त्रोत के रूप में कार्य करती है। हालांकि, रटने की प्रवृत्ति और व्यक्तिगतीकरण जैसे दोष भी कुछ प्रणालियों में पाए जाते हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत होती है। इसलिए, समर्थ और संतुलित शिक्षा प्रणाली को विकसित करना महत्वपूर्ण है जो छात्रों को संपूर्ण विकास के लिए तैयार कर सके।
आधुनिक शिक्षा में डिग्री की प्रधानता, अनुशासनहीनता, दिशाहीन परीक्षा प्रणाली, नैतिक शिक्षा का अभाव आदि होने के कारण इसमें ज्ञान और बुद्धि का अभाव पाया जाता है। यद्यपि आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में नवीन प्रयोग किए जा रहे हैं, किन्तु यह शिक्षा व्यवस्था उच्च वर्ग तक सीमित होती जा रही है।
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शिक्षा की आवश्यकता और शिक्षा प्रणाली के गुण-दोष
शिक्षा व्यक्ति के जीवन में उसके समृद्धि और समाज में प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक प्रक्रिया है। शिक्षा के बिना मानव जीवन अधूरा और अन्यायी हो जाता है। शिक्षा व्यक्ति के बुद्धि, चरित्र, नैतिकता और सामाजिक विकास में सहायक होती है।
शिक्षा प्रणाली के गुण:
ज्ञान का स्त्रोत: अच्छी शिक्षा प्रणाली समृद्धि का स्रोत होती है जो विद्यार्थियों को ज्ञान की धारा से परिचित कराती है।
समाज का सहारा: शिक्षा व्यक्ति को समाज में सम्मान और आत्मविश्वास देती है और समाज के उन्नति में मदद करती है।
विचारशीलता: शिक्षित व्यक्ति विचारशील होता है और समस्याओं के समाधान के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करता है।
शिक्षा प्रणाली के दोष:
रटने की प्रवृत्ति: कुछ शिक्षा प्रणालियां सिर्फ रटने पर जोर देती हैं, जिससे विद्यार्थियों का समझने और समस्याओं को समाधान करने का क्षमता प्रवृत्ति कम होती है।
व्यक्तिगतीकरण: कुछ प्रणालियां विद्यार्थियों को एक सामान्य स्तर पर नहीं पहुंचने देती हैं और उन्हें अपनी रूचियों और दक्षताओं के अनुसार शिक्षित नहीं करती।
सारांशतः, शिक्षा व्यक्ति के विकास और समाज में प्रगति के लिए आवश्यक है और अच्छी शिक्षा प्रणाली ज्ञान के स्त्रोत के रूप में कार्य करती है। हालांकि, रटने की प्रवृत्ति और व्यक्तिगतीकरण जैसे दोष भी कुछ प्रणालियों में पाए जाते हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत होती है। इसलिए, समर्थ और संतुलित शिक्षा प्रणाली को विकसित करना महत्वपूर्ण है जो छात्रों को संपूर्ण विकास के लिए तैयार कर सके।
Answer:
आधुनिक शिक्षा में डिग्री की प्रधानता, अनुशासनहीनता, दिशाहीन परीक्षा प्रणाली, नैतिक शिक्षा का अभाव आदि होने के कारण इसमें ज्ञान और बुद्धि का अभाव पाया जाता है। यद्यपि आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में नवीन प्रयोग किए जा रहे हैं, किन्तु यह शिक्षा व्यवस्था उच्च वर्ग तक सीमित होती जा रही है।
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