राग में केवल 2 रागों का मिश्रण हो तो उसे कहेंगे- "छायालग" राग
Explanation:
"राग" शब्द संस्कृत की 'रंज्' धातु से लिया गया है।
रंज् धातु का अर्थ है- रंगना।
जो संरचना मनुष्य के मन को आनंद के रंग से भर दे वही "राग" कहलाती है।
हर राग का अपना एक रूप, एक व्यक्तित्व होता है जो उसमें लगने वाले स्वरों और लय पर निर्भर करता है।
राग का प्राचीनतम उल्लेख सामवेद में किया गया है। वैदिक काल में ज्यादा राग प्रयुक्त होते थे, किन्तु समय के साथ साथ उपयुक्त राग कम होते गये। शास्त्रीय संगीत में रागों की भरपूर विभिन्नता पाई जाती है।
हिंदुस्तानी संगीत में शुद्ध-छायालग एवं संकीर्ण रागों की अवधारणा पायी जाती है।
प्राचीन काल से ही रागों को विभिन्न भागों में विभाजित करने के अनेक प्रयास किया गया है ।
रागों के प्रकार भेद-
1. शुद्ध राग
जिस राग में राग की छाया कि सुचना न हो उसे शुद्ध राग कहा जाता हैं।
बिलावल, यमन, टोडी आदि शुद्ध राग हैं।
2. छायालग
जिस राग में केवल दो रागों के मिश्रण को छायालग राग कहते हैं।
पूरिया-धनश्री, भैरव-बहार को छायालाग राग कहा जाता हैं।
3.संकीर्ण राग
जिस राग में 2 से अधिक रागों के मिश्रण को संकीर्ण राग कहा जाता हैं।
Answers & Comments
raag me keval 2 rago ke mishran ko use mixture kehete he
Answer:
राग में केवल 2 रागों का मिश्रण हो तो उसे कहेंगे- "छायालग" राग
Explanation:
रागों के प्रकार भेद-
1. शुद्ध राग
2. छायालग
3.संकीर्ण राग
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