1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारणों में यह अफवाह थी कि 1853 की राइफल के कारतूस की खोल पर सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई है। यह अफवाह हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही थी। ये राइफलें 1853 के राइफल के जखीरे का हिस्सा थीं
कारतूसों बनाने प्रयुक्त की जाने चर्बी की घटना 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण बनी।
व्याख्या :
1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम था जो एक सिपाही विद्रोह से शुरू होकर पूरे भारतवर्ष में स्वाधीनता संग्राम के रूप में फैल गया था। यह विद्रोह सिपाहियों द्वारा चर्बी वाले कारतूस प्रयोग किये जाने से मना करने से शुरू हुआ था।
इस कारण 85 सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इससे सिपाहियों में आक्रोश उत्पन्न हो गया और उनमें विद्रोह फैल गया। धीरे-धीरे यह सिपाही विद्रोह आम जनता में भी फैलता गया और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यह विद्रोह अलग-अलग रूपों में स्वाधीनता संग्राम का रूप लेने लगा।
इस स्वतंत्रता संग्राम के अगुआ मंगल पांडे, लक्ष्मीबाई, बहादुर शाह जफर, तात्या टोपे, नाना साहब आदि थे।
1857 की क्रान्ति में शहीद होने वाला प्रथम क्रान्तिकारी का “मंगल पांडे” था।
आम भारतीय उन्हें आजादी की लड़ाई के प्रथम नायक के रूप में याद करता है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था।
उनके द्वारा शुरु की गई आजादी की चिंगारी बढ़ती ही गई और धीरे-धीरे ये चिंगारी पूरे भारत में फैल गयी और 1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक बहुत बड़ा संग्राम बन गया।
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1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारणों में यह अफवाह थी कि 1853 की राइफल के कारतूस की खोल पर सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई है। यह अफवाह हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही थी। ये राइफलें 1853 के राइफल के जखीरे का हिस्सा थीं
कारतूसों बनाने प्रयुक्त की जाने चर्बी की घटना 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण बनी।
व्याख्या :
1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम था जो एक सिपाही विद्रोह से शुरू होकर पूरे भारतवर्ष में स्वाधीनता संग्राम के रूप में फैल गया था। यह विद्रोह सिपाहियों द्वारा चर्बी वाले कारतूस प्रयोग किये जाने से मना करने से शुरू हुआ था।
इस कारण 85 सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इससे सिपाहियों में आक्रोश उत्पन्न हो गया और उनमें विद्रोह फैल गया। धीरे-धीरे यह सिपाही विद्रोह आम जनता में भी फैलता गया और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में यह विद्रोह अलग-अलग रूपों में स्वाधीनता संग्राम का रूप लेने लगा।