सरजू भैया के पास खेतीबाड़ी थी, रुपये और गल्ले का अच्छा लेन-देन था। परिवार बड़ा नहीं था और न खर्चीला। लेकिन सरजू के पिता के मरते ही सरजू भैया ने लेन-देन चौपट किया। बाढ़ ने खेती बर्बाद कर दी और भूकम्प ने मकान का सत्यानाश कर दिया।
सरजू भैया के पिता की मृत्यु के बाद, परिवार की स्थिति बहुत ही कठिन हो गई थी।
कारणों में सबसे पहले यह था कि पिताजी घर के एकमात्र कमाने वाले होते थे और उनकी मृत्यु के बाद परिवार का प्राथमिक आय स्रोत खत्म हो गया। इसके कारण परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी और उन्हें धन की कमी की सामने देखनी पड़ी।
दूसरे कारण यह था कि सरजू के पिता ही परिवार का मुखय नेतृत्व करते थे और उनकी मृत्यु के बाद परिवार को इस दिशा में किसी भी नेता की कमी थी। इसके कारण संघर्षों का माहौल बना रहा और यह परिवार के सदस्यों के बीच विभिन्न वाद-विवादों और बहसों का कारण बन गया।
तीसरे कारण की बात करें तो बहुमुखी समस्याओं का सामना करना पड़ा जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामले में। ज्यादातर युवा सदस्य ने पढ़ाई के छोटे से अवसरों से ही ध्यान दिया था, और माता-पिता की मृत्यु के बाद शिक्षा की लागत को पूरा करना बहुत मुश्किल था। साथ ही, कुछ सदस्यों के आरोग्य समस्याएं भी थीं और उनका उपचार भी मानसिक और आर्थिक रूप से भारी पड़ोसी हो गया।
इस तरह, पिताजी की मृत्यु के बाद परिवार की स्थिति अत्यंत कठिन हो गई थी क्योंकि प्राथमिक आय स्रोत कम हो गया था, नेतृत्व की कमी थी और अन्य बहुमुखी समस्याएं हो गईं थीं।
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सरजू भैया के पास खेतीबाड़ी थी, रुपये और गल्ले का अच्छा लेन-देन था। परिवार बड़ा नहीं था और न खर्चीला। लेकिन सरजू के पिता के मरते ही सरजू भैया ने लेन-देन चौपट किया। बाढ़ ने खेती बर्बाद कर दी और भूकम्प ने मकान का सत्यानाश कर दिया।
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सरजू भैया के पिता की मृत्यु के बाद, परिवार की स्थिति बहुत ही कठिन हो गई थी।
कारणों में सबसे पहले यह था कि पिताजी घर के एकमात्र कमाने वाले होते थे और उनकी मृत्यु के बाद परिवार का प्राथमिक आय स्रोत खत्म हो गया। इसके कारण परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी और उन्हें धन की कमी की सामने देखनी पड़ी।
दूसरे कारण यह था कि सरजू के पिता ही परिवार का मुखय नेतृत्व करते थे और उनकी मृत्यु के बाद परिवार को इस दिशा में किसी भी नेता की कमी थी। इसके कारण संघर्षों का माहौल बना रहा और यह परिवार के सदस्यों के बीच विभिन्न वाद-विवादों और बहसों का कारण बन गया।
तीसरे कारण की बात करें तो बहुमुखी समस्याओं का सामना करना पड़ा जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामले में। ज्यादातर युवा सदस्य ने पढ़ाई के छोटे से अवसरों से ही ध्यान दिया था, और माता-पिता की मृत्यु के बाद शिक्षा की लागत को पूरा करना बहुत मुश्किल था। साथ ही, कुछ सदस्यों के आरोग्य समस्याएं भी थीं और उनका उपचार भी मानसिक और आर्थिक रूप से भारी पड़ोसी हो गया।
इस तरह, पिताजी की मृत्यु के बाद परिवार की स्थिति अत्यंत कठिन हो गई थी क्योंकि प्राथमिक आय स्रोत कम हो गया था, नेतृत्व की कमी थी और अन्य बहुमुखी समस्याएं हो गईं थीं।