Meaning :- अठारह पुराणों में व्यासजी के दो वचन सार के हैं - परोपकार करो - पुण्य के लिए है । दूसरे को पीड़ा पहुँचाना - पाप के लिए है ।
संस्कृत श्लोक 3 .
विद्वित्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन् । स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।। 3 ।।
Meaning :- विद्वान् होना और राजा होना कभी भी समान नहीं है क्योंकि राजा की पूजा तो केवल अपने ही राज्य में होती है, जबकि विद्वान् की पूजा सब जगह होती है |
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संस्कृत श्लोक 1 .
काकचेष्टा वकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च । अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणः ।। 1 ।।
Meaning :- कौए जैसा प्रयत्न, बगुले जैसा ध्यान, कुत्ते जैसी नींद, कम खाना और घर को छोड़ । देना - विद्यार्थी के यह पाँच लक्षण होते हैं ।
संस्कृत श्लोक 2 .
अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् ।। परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम्।।2 ।।
Meaning :- अठारह पुराणों में व्यासजी के दो वचन सार के हैं - परोपकार करो - पुण्य के लिए है । दूसरे को पीड़ा पहुँचाना - पाप के लिए है ।
संस्कृत श्लोक 3 .
विद्वित्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन् । स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।। 3 ।।
Meaning :- विद्वान् होना और राजा होना कभी भी समान नहीं है क्योंकि राजा की पूजा तो केवल अपने ही राज्य में होती है, जबकि विद्वान् की पूजा सब जगह होती है |
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