इस कविता में एक ऐसे दुनिया में प्रवेश का आमंत्रण है, जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। यह इस बात का बोध कराती है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता। इस पल-पल बनती- बिगड़ती दुनिया में स्मृतियों के भरोसे नहीं जिया जा सकता। कवि कहता है कि वह नए बसते इलाकों तथा नए-नए बनते मकानों के कारण रोज अपने घर का रास्ता भूल जाता है। वह अपने घर तक पहुँचने रास्ते में पड़ने वाले निशानों को याद रखता हुआ आगे बढ़ता है लेकिन उसे वे निशान नहीं मिलते। वह हर बार एक या दो घर आगे चला जाता है। इसलिए वह कहता है कि यहाँ स्मृतियों का कोई भरोसा नहीं । यह दुनिया एक दिन में ही पुरानी पड़ जाती है। अब घर ढूँढने का एक ही रास्ता है कि वह हर एक घर का दरवाजा खटखटाकर पूछे कि क्या उसका घर यही है? पर इसके लिए भी समय बहुत कम है। कहीं इतने समय में ही फिर कोई बदलाव न हो जाए। फिर उसके मन में एक आशा जगती है कि शायद उसका कोई जाना-पहचाना उसे भटकते हुए देखकर ऊपरी मंजिल से उसे पुकार कर कह दे कि वह रहा तुम्हारा घर।
Answers & Comments
Verified answer
Answer:
प्रवाही नदियों के संग, नए इलाके की कविता है,
उड़ते पंखों की तरह, आगे बढ़ता सफर है।
पहले कदम की मिठास, नए रास्तों का आगाज,
परिवर्तन का रंग, हर पल नए सवालों का हिसाब।
मिलता है नया सवेरा, सपनों का आसमान,
कविता की भाषा में, हर दर्द को मिलता अपना साकार।
एक नयी धुप में, हर रोज़ नए रंग बिखरते हैं,
कविता के पन्नों पर, नए इलाके की मिसाल लिखते हैं।
Answer:
इस कविता में एक ऐसे दुनिया में प्रवेश का आमंत्रण है, जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। यह इस बात का बोध कराती है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता। इस पल-पल बनती- बिगड़ती दुनिया में स्मृतियों के भरोसे नहीं जिया जा सकता। कवि कहता है कि वह नए बसते इलाकों तथा नए-नए बनते मकानों के कारण रोज अपने घर का रास्ता भूल जाता है। वह अपने घर तक पहुँचने रास्ते में पड़ने वाले निशानों को याद रखता हुआ आगे बढ़ता है लेकिन उसे वे निशान नहीं मिलते। वह हर बार एक या दो घर आगे चला जाता है। इसलिए वह कहता है कि यहाँ स्मृतियों का कोई भरोसा नहीं । यह दुनिया एक दिन में ही पुरानी पड़ जाती है। अब घर ढूँढने का एक ही रास्ता है कि वह हर एक घर का दरवाजा खटखटाकर पूछे कि क्या उसका घर यही है? पर इसके लिए भी समय बहुत कम है। कहीं इतने समय में ही फिर कोई बदलाव न हो जाए। फिर उसके मन में एक आशा जगती है कि शायद उसका कोई जाना-पहचाना उसे भटकते हुए देखकर ऊपरी मंजिल से उसे पुकार कर कह दे कि वह रहा तुम्हारा घर।